Political Instability:48 घंटे में तीन देशों के प्रधानमंत्रियों के इस्तीफ़े,राजनीतिक अस्थिरता पर उठ रहे सवाल कैसे बदल रही दुनिया की तस्वीर

48 घंटे में तीन देशों के प्रधानमंत्रियों के इस्तीफे ने दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता की चर्चा बढ़ा दी है। भारत में भी विदेशी हस्तक्षेप पर बहस तेज हो रही है।

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International News :आज पूरी दुनिया में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। जब-जब जनता ने सरकारों के खिलाफ विरोध किया है, तब-तब कई देशों की सरकारों को पीछे हटना पड़ा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में नेपाल में देखने को मिला, जहाँ जन-आंदोलन के चलते सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। इसी बीच फ्रांस और जापान जैसे देशों में भी राजनीतिक संकट की वजह से नेतृत्व बदलने की स्थिति बन गई। मात्र 48 घंटे के अंदर तीन देशों के प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने की खबर ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है।

तीन देशों में नेतृत्व संकट

फ्रांस में प्रधानमंत्री फ्रांस्वा बेरो संसद में विश्वास प्रस्ताव हार गए, इसलिए उन्हें पद छोड़ना पड़ा। नेपाल में खड़ग प्रसाद ओली ने राजनीतिक और सामाजिक विरोध के बीच इस्तीफा दिया। वहीं जापान में पार्टी में मतभेद और जनादेश की समस्याओं की वजह से प्रधानमंत्री ने पद छोड़ने का फैसला किया। हर देश की परिस्थिति अलग है, लेकिन यह घटनाएँ मिलकर विश्व में राजनीतिक अस्थिरता का संकेत देती हैं।

भारत पर उठ रहे सवाल

इन घटनाओं के बीच भारत में भी चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि विदेशी एजेंसियाँ जैसे CIA भारत की राजनीति में दखल दे रही हैं। यह आरोप विपक्ष ने लगाया है, जबकि इसका कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है। राहुल गांधी ने भी वोट चोरी और प्रशासनिक विवादों को लेकर सवाल उठाए हैं, जिससे राजनीतिक माहौल और गरमा गया है। सवाल यह है कि क्या ये आरोप सही हैं या सिर्फ राजनीति का हिस्सा?

आगे की दिशा क्या होगी?

स्पष्ट है कि हर देश की स्थिति अलग है और राजनीतिक अस्थिरता की वजहें भी अलग हैं। फिर भी जनता का विरोध, भ्रष्टाचार और आंतरिक मतभेद आम कारण बनते जा रहे हैं। अब मीडिया, शोध संस्थाएँ और सरकार को मिलकर इन आरोपों की सच्चाई सामने लानी होगी। चुनाव, सुरक्षा नीतियों और विदेश नीति में पारदर्शिता बढ़ाकर जनता को सही जानकारी देना ज़रूरी होगा। राहुल गांधी और अन्य नेताओं को भी अपने आरोपों के पीछे ठोस प्रमाण पेश करने चाहिए ताकि भ्रम और अफवाहों का असर कम हो।

यह दौर राजनीतिक चेतना का है। जनता जाग रही है और हर सरकार को जवाब देना पड़ रहा है। सवाल यही है ।क्या दुनिया की राजनीति बदल रही है या ये सिर्फ अस्थायी संकट है

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