WHO chief: यमन के सना एयरपोर्ट पर गुरुवार को इजरायल ने बड़ा हमला किया, जिसमें बंदरगाह और एयरपोर्ट को निशाना बनाया गया। इस हमले में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस बाल-बाल बच गए। वह संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के कर्मचारियों की रिहाई के लिए बातचीत करने यमन पहुंचे थे, जिन्हें हूती विद्रोहियों ने महीनों से बंधक बना रखा है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख के मुताबिक, हमले के दौरान वह और उनकी टीम हवाईअड्डे के प्रस्थान लाउंज में मौजूद थे। हमले में हवाई यातायात नियंत्रण टावर और रनवे को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि उनके विमान के चालक दल का एक सदस्य घायल हुआ, जबकि दो अन्य लोगों की मौत की सूचना है।
संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत पहुंचे थे घेब्रेयसस
WHO chief टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस संयुक्त राष्ट्र के एक मिशन के तहत यमन गए थे। इस यात्रा का उद्देश्य हूती विद्रोहियों द्वारा बंधक बनाए गए यूएन कर्मचारियों की रिहाई के लिए बातचीत करना और यमन में स्वास्थ्य एवं मानवीय स्थिति का आकलन करना था। घेब्रेयसस ने हमले के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर बताया कि उनका मिशन सफल रहा, लेकिन एयरपोर्ट पर हुए हमले ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
उन्होंने लिखा, “हम बंदियों की तत्काल रिहाई की मांग करते रहेंगे। जब हम सना से उड़ान भरने वाले थे, तभी एयरपोर्ट पर बमबारी हुई। यह बेहद चिंताजनक स्थिति है।”
इजरायली हमले में हुआ बड़ा नुकसान
हमले में सना एयरपोर्ट को भारी नुकसान हुआ है। हवाई यातायात नियंत्रण टावर और रनवे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए, जिससे डब्ल्यूएचओ प्रमुख और उनकी टीम को यमन छोड़ने में देरी हो रही है। प्रस्थान लाउंज, जहां घेब्रेयसस मौजूद थे, वहां से कुछ ही मीटर की दूरी पर बमबारी हुई।
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने बताया कि इस हादसे में उनके विमान के चालक दल के एक सदस्य को चोट लगी है। वहीं, एयरपोर्ट पर दो अन्य लोगों की जान जाने की सूचना है।
WHO chief ने जताई संवेदना
घेब्रेयसस ने अपनी टीम और खुद के सुरक्षित होने की पुष्टि करते हुए मृतकों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “हम उन परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया।”
घटनास्थल पर बचाव कार्य जारी है, और एयरपोर्ट की मरम्मत होने तक डब्ल्यूएचओ टीम को यमन में ही रुकना होगा। इस हमले ने यमन के बिगड़ते हालात और वहां मौजूद अंतरराष्ट्रीय संगठनों के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।