Hadaka Matsuri Festival-जापान में सालभर तरह-तरह के त्योहार बड़े उत्साह से मनाए जाते हैं। इनमें से कुछ त्योहार ऐसे हैं, जिन्हें ‘हादका मत्सुरी’ या ‘न्यूड फेस्टिवल’ कहा जाता है। इन अनोखे आयोजनों में पुरुष केवल सफेद लंगोट (फंडोशी) पहनकर शामिल होते हैं। ये त्योहार मुख्य रूप से धार्मिक परंपराओं से जुड़े हैं और शुद्धिकरण, सौभाग्य की कामना, और अशुद्धियों को दूर करने के लिए मनाए जाते हैं।
क्या है ‘हादका मत्सुरी’?
‘हादका मत्सुरी’ मुख्यत जापान के ठंडे मौसम में आयोजित होते हैं। इस दौरान पुरुष ठंडे पानी में स्नान करते हैं, जिससे उनके शरीर से भाप निकलती है। यह प्रक्रिया त्योहार की गहनता को दर्शाती है। यह परंपरा शिंटो और बौद्ध धर्म से प्रेरित है। माना जाता है कि इस आयोजन से बीते साल की बुरी शक्तियों को खत्म किया जाता है और नए साल में शांति और समृद्धि का स्वागत किया जाता है। इसमें भाग लेने वाले लोग खास नियमों का पालन करते हैं, जैसे नॉन-वेज से परहेज करना और अपने शरीर को पहले से शुद्ध करना।
इवाते का ‘सोमिन-साई’
‘सोमिन-साई’ जापान के सबसे पुराने लोक त्योहारों में से एक है। इसे इवाते प्रांत में मनाया जाता है। इस त्योहार का उद्देश्य आपदाओं और बीमारियों से रक्षा करना है। यहां लोग कागज पर ‘सोमिन-शोराई के वंशज’ लिखकर अपने घरों के दरवाजे पर लगाते हैं। यह परंपरा शांति और सुरक्षा की कामना से जुड़ी है। त्योहार के दौरान, पुरुष नग्न होकर शामिल होते थे, लेकिन 2007 से उन्हें लंगोट पहनने का नियम बनाया गया। 2024 में यह त्योहार आखिरी बार मनाया जाएगा, क्योंकि अब इसे आयोजित करने के लिए पर्याप्त लोग नहीं मिल रहे हैं।
ओकायामा का ‘सैदाईजी ईयो’
ओकायामा में स्थित ‘सैदाईजी’ मंदिर में हर साल ‘ईयो’ नामक बड़ा आयोजन होता है। इस त्योहार में करीब 10,000 पुरुष भाग लेते हैं। वे लकड़ी के ताबीज ‘शिंगी’ के लिए लड़ाई करते हैं। यह ताबीज यिन और यांग का प्रतीक माना जाता है। जिसे यह ताबीज मिलता है, उसे अगले साल के लिए भाग्यशाली माना जाता है। यह आयोजन 14 दिनों तक चलता है और इसमें भाग लेने वाले पुरुष अपनी पूरी शक्ति और विश्वास के साथ हिस्सा लेते हैं।
फुकुशिमा का ‘हयामा-गोमोरी’
फुकुशिमा के कुरोनुमा तीर्थस्थल पर ‘हयामा-गोमोरी’ नामक त्योहार मनाया जाता है। यह आयोजन करीब 1,000 साल पुराना है और यहां केवल त्योहार के दिन ही लोगों को इस तीर्थस्थल पर जाने की अनुमति होती है। यह त्योहार देवताओं सेआर्शीवाद पाने और अच्छी फसल की कामना के लिए मनाया जाता है। हर साल इसे अलग-अलग तारीखों पर मनाया जाता है। 2023 में यह 28 से 31 दिसंबर तक हुआ था, जबकि 2024 में इसे 20 से 22 दिसंबर के बीच आयोजित किया जाएगा।
गहरी धार्मिक मान्यताएं
इन त्योहारों में भाग लेना केवल परंपरा निभाना नहीं है, बल्कि यह लोगों को अपनी धार्मिक जड़ों और सामुदायिक संबंधों से जोड़ने का जरिया भी है। चाहे ‘सोमिन-साई’ हो या ‘सैदाईजी ईयो’, हर आयोजन में शामिल होने वाले लोग पूरी श्रद्धा और जोश के साथ भाग लेते हैं। यह आयोजन जापान की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का अहम हिस्सा हैं।