Lakshmi Mittal:भारतीय मूल के मशहूर स्टील उद्योगपति और ब्रिटेन के सबसे अमीर निवासियों में शामिल लक्ष्मी एन. मित्तल ने यूके को छोड़ने का बड़ा निर्णय ले लिया है। लगभग तीस साल तक ब्रिटेन में रहकर कारोबार संभालने के बाद अब उन्होंने अपना स्थायी निवास स्विट्जरलैंड और दुबई में बसाने का फैसला किया है। यह कदम सीधे तौर पर ब्रिटेन में संभावित लेबर सरकार की नई कर नीतियों से जुड़े खतरे को देखते हुए उठाया गया है। लेबर पार्टी ने सत्ता में आने पर अमीरों पर ज्यादा टैक्स लगाने और नॉन-डोमिसाइल टैक्स स्टेटस खत्म करने की बात कही है। ऐसे में मित्तल की सबसे बड़ी चिंता उनकी विशाल संपत्ति पर लगने वाला विरासत कर है।
ब्रिटेन छोड़ने का अहम कारण
करीब 15.4 अरब पाउंड की अनुमानित संपत्ति वाले लक्ष्मी मित्तल ने ब्रिटिश वित्त मंत्री रेचल रीव्स के बजट से पहले ही देश छोड़ने की तैयारी कर ली। इस बजट में उच्च आय वाले वर्ग पर टैक्स बढ़ने की संभावना है। यूके की नॉन-डोमिसाइल टैक्स व्यवस्था पिछले दो सौ वर्षों से उन लोगों को कर राहत देती थी जिनका मूल घर विदेश में है। इस व्यवस्था के खत्म होने का मतलब मित्तल जैसे वैश्विक उद्योगपतियों को अपनी विदेशी आय पर बड़ा टैक्स देना होगा। यही कारण है कि उन्होंने अपने टैक्स रेजिडेंस को बदलने का मन बना लिया।
दुबई और स्विट्जरलैंड क्यों चुने?
मित्तल ने आधिकारिक तौर पर अपना टैक्स रेजिडेंस स्विट्जरलैंड में कर लिया है, जबकि वह ज्यादातर समय दुबई में बिताएंगे। दुबई में उनकी पहले से संपत्ति मौजूद है और हाल ही में उन्होंने एक लक्जरी रियल एस्टेट परियोजना में भी निवेश किया है। इन दोनों स्थानों को चुनने के पीछे सबसे मजबूत वजह यह है कि यहां विरासत कर नहीं लगता। इसका मतलब यह है कि उनकी 15 अरब पाउंड से अधिक की संपत्ति बिना किसी भारी कर बोझ के उनकी अगली पीढ़ी को हस्तांतरित हो सकेगी।
दुबई और स्विट्जरलैंड दोनों ही दुनिया के उन देशों में शामिल हैं जहां उच्च नेटवर्थ व्यक्तियों को टैक्स व्यवस्था, जीवनशैली और सुरक्षा के लिहाज से बेहतर माहौल मिलता है। यही कारण है कि कई बड़े उद्योगपति यहां अपना कर निवास स्थापित करते हैं। मित्तल का यह कदम वैश्विक स्तर पर बदलते कर माहौल और संपत्ति सुरक्षा की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
