Lethal injection : सबसे पहले कहां दी गई जहरीला इंजेक्शन लगाकर सजाएं मौत, डॉक्टर ने क्यों किया था इसका विरोध

दुनिया में मौत की सजा देने के लिये,अमेरिका में 1982 में जहरीले इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया था, जिससे विवाद हुआ। कई डॉक्टरों ने इसका विरोध किया था, आज कई देशों में यह तरीका अपनाया जा रहा है, हालांकि मौत की सजा को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है।

lethal injection execution method

Murderers Get Death By Injection : दुनिया भर में अलग अलग अपराधों के लिए अलग सजाएं दी जाती हैं, लेकिन जब बात सबसे गंभीर अपराध की होती है तो सबसे बड़ी सजा मौत की सजा होती है। इसे देने के लिए भिन्न भिन्न देशों में अलग तरीके अपनाए जाते हैं। भारत समेत 58 देशों में फांसी दी जाती है। लेकिन कुछ देशों में और भी तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे अमेरिका में। वहां गोली मारने के अलावा मौत की सजा देने के लिए जहरीला इंजेक्शन भी दिया जाता है। इसे लेकर बहुत विवाद हुआ था और आज भी इसपर बहस जारी है।

पहली मौत अमेरिका में इंजेक्शन से दी गई

अमेरिका में पहली बार 7 दिसंबर 1982 को किसी को मौत की सजा देने के लिए जहरीले इंजेक्शन का इस्तेमाल किया गया था। उस समय एक हत्या के मामले में चार्ल्स ब्रूक्स को मौत की सजा सुनाई गई थी। ब्रूक्स के लिए खास तरह की दवाओं का एक मिश्रण तैयार किया गया था, जिसके बाद उसे इंजेक्शन के जरिए मौत की सजा दी गई। इसके बाद दुनियाभर में इस मामले पर चर्चा शुरू हो गई थी। सवाल उठने लगे थे कि क्या यह तरीका मानवीय है और इस पर बहस छिड़ गई थी।

कैसे दी गई सजा

ब्रूक्स को मौत की सजा देने के लिए कुछ दवाओं का मिश्रण तैयार किया गया था। टेक्सास में यह इंजेक्शन उसे दिया गया। इस मिश्रण में दवाएं ऐसी थीं जो उसके शरीर और दिमाग को सुन्न कर देती थीं। इससे ब्रूक्स के शरीर में पूरी तरह से लकवा मार गया और उसका दिल रुक गया। इस प्रक्रिया में ब्रूक्स को दर्द महसूस नहीं हुआ, लेकिन सवाल उठने लगे थे कि क्या यह तरीका वाकई इंसानियत के मुताबिक है

डॉक्टर इस प्रतिक्रिया के खिलाफ क्यों थे

डॉक्टरों का मानना था कि इस तरह का इंजेक्शन लगाना सही नहीं है। उनका कहना था कि यह प्रक्रिया बहुत ज्यादा जोखिम भरी है क्योंकि इसका असर शरीर पर तुरंत नहीं होता। डॉक्टरों का यह भी कहना था कि ऐसा तरीका जितना दर्द रहित हो सकता है, उतना ही गलत भी हो सकता है क्योंकि इसमें दोषी को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाता है, बिना उसके दर्द को महसूस किए।

इंजेक्शन देने वाला व्यक्ति डॉक्टर नहीं था

साल 1983 में एक अमेरिकी पत्रकार डिक रिएविस ने रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया कि ब्रूक्स को मौत का इंजेक्शन देने वाला व्यक्ति डॉक्टर नहीं था। यह व्यक्ति न तो डॉक्टर था, न फार्मासिस्ट। यह स्थिति चिंता का कारण बनी क्योंकि जब किसी को मौत की सजा दी जाती है तो उस प्रक्रिया को ठीक से करने के लिए मेडिकल प्रशिक्षण होना जरूरी माना जाता है।

दुनिया पर इसका असर

अमेरिका के इस कदम के बाद कई अन्य देशों ने भी जहरीले इंजेक्शन का इस्तेमाल शुरू कर दिया। अब यह तरीका दुनिया के पांच देशों में उपयोग किया जाता है, जिनमें अमेरिका, चीन, और फिलीपींस शामिल हैं। वहीं 58 देशों में अब भी फांसी दी जाती है। इन देशों में भारत समेत 33 ऐसे देश हैं, जहां केवल फांसी दी जाती है और मौत की सजा देने के लिए कोई दूसरा तरीका नहीं है। कुछ देशों में गोली मारने की सजा भी दी जाती है, और कुछ देशों में पत्थर मारने की सजा का प्रावधान है।

मौत की सजा खत्म करने वाले देश

अगर बात करें उन देशों की जिन्होंने मौत की सजा खत्म कर दी है तो 73 देशों में अब तक मौत की सजा का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। वहीं, अफगानिस्तान और सूडान जैसे देशों में मौत की सजा देने के कुछ बेहद कठोर तरीके हैं। इन देशों में अपराधी को पत्थर मारकर या गोली मारकर सजा दी जाती है। यह तरीका भी विवादास्पद है।

मौत की सजा पर दुनिया भर में बहस

मौत की सजा को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। कुछ लोग इसे अपराधों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि यह एक अक्षम और अमानवीय तरीका है। ऐसे लोग मानते हैं कि कोई भी इंसान अपनी जिंदगी की कीमत चुका सकता है, लेकिन इस तरीके से सजा देना पूरी तरह से गलत है।

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