New Tariff: अमेरिका के बाद अब किसने बढ़ाए आयात शुल्क भारतीय ऑटो और फार्मा उद्योग पर संकट के बदल

मैक्सिको ने 2026 से भारत सहित एशियाई देशों के 1,400 उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने का फैसला किया है। इससे भारतीय वाहनों, दवाइयों, ऑटो पार्ट्स और टेक्सटाइल निर्यात पर बड़ा असर पड़ सकता है।

Mexico tariff impact on Indian exports

Mexico New Tariff Policy: मैक्सिको ने घोषणा की है कि वह 2026 से भारत और अन्य एशियाई देशों से आने वाले सामानों पर 50% तक आयात शुल्क लगाएगा। यह निर्णय भारतीय निर्यातकों के लिए बड़ी चिंता का कारण बन गया है, खासकर उन उद्योगों के लिए जो मैक्सिको बाजार पर काफी निर्भर हैं।
सबसे ज्यादा झटका उन क्षेत्रों को लग सकता है जो मैक्सिको को भारत का सबसे बड़ा निर्यात हैं।जैसे यात्री वाहन, ऑटो पार्ट्स और अन्य ऑटो कंपोनेंट्स।

1,400 एशियाई उत्पादों पर भारी शुल्क

एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, मैक्सिको की सीनेट ने 5% से 50% तक का टैरिफ लगाने के पक्ष में मतदान किया। यह टैरिफ उन 1,400 से ज्यादा एशियाई उत्पादों पर लागू होगा, जिनका मैक्सिको के साथ कोई औपचारिक व्यापार समझौता नहीं है।
विधेयक को 76-5 वोट से मंजूरी मिली, जबकि 35 सदस्य मतदान के दौरान अनुपस्थित रहे।

जनवरी से लागू होंगी नई दरें

नई शुल्क दरें जनवरी 2026 से लागू की जाएंगी। यह बढ़ा हुआ टैरिफ वस्त्रों, जूतों, घरेलू उपकरणों, कारों और कारों के पुर्जों पर प्रभाव डालेगा।
मैक्सिको भारत का 31वां बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अप्रैल 2024 से मार्च 2025 के बीच दोनों देशों के बीच कुल व्यापार 8.6 बिलियन डॉलर रहा।

भारत-मैक्सिको व्यापार: 2024 का आंकड़ा

2024 में भारत को मैक्सिको के साथ लगभग 6 अरब डॉलर का ट्रेड सरप्लस मिला था। भारत ने लगभग 8.6 अरब डॉलर का निर्यात किया, जबकि आयात सिर्फ 2.6 अरब डॉलर का था।
नए टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय दवाइयों, ऑटो पार्ट्स और टेक्सटाइल उत्पादों की कीमतें मैक्सिको में बढ़ सकती हैं, जिससे उनकी मांग घट सकती है।

राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाउम की रणनीति

ये नई दरें राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाउम के दूसरे कार्यकाल में लागू की जा रही हैं। उनकी सरकार अमेरिकी दबाव को ध्यान में रखते हुए अपनी व्यापार नीति को मजबूत बनाने की कोशिश कर रही है।
अमेरिका मैक्सिको का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, और एशियाई देशों खासकर चीन पर बढ़ते टैरिफ इस रणनीति को और चुनौतीपूर्ण बना रहे हैं।

भारत पर पड़ रहा दोहरा दबाव

भारत पहले ही अमेरिका के ट्रंप दौर में शुरू हुए व्यापारिक तनाव का असर झेल रहा है। नई दिल्ली इन मुद्दों को हल करने का प्रयास कर रही है, लेकिन अब मैक्सिको का यह नया कदम भारतीय कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ डाल सकता है।

वाहन और फार्मा सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित

कारें और ऑटो पार्ट्स भारत के मैक्सिको के लिए प्रमुख निर्यात हैं। हुंडई क्रेटा, मारुति सुजुकी, किआ, फॉक्सवैगन जैसे वाहन बड़ी मात्रा में भेजे जाते हैं। इसके साथ ही लगभग 250 भारतीय कंपनियां जिनमें एग्रोकेमिकल उद्योग से जुड़ी UPL जैसी कंपनियां भी शामिल हैं। मैक्सिको में सक्रिय हैं।

भारत का बढ़ता निवेश

ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, पिछले वर्ष भारत का निवेश मैक्सिको में लगभग 650 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया था। मैक्सिको में भारत के राजदूत पंकज शर्मा ने नवंबर में कहा था कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश की क्षमता अभी भी बहुत अधिक है, और दोनों देशों को इस दिशा में अधिक ध्यान देने की जरूरत है।

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