पाकिस्तान और अफगान तालिबान के बीच सीमा पर एक बार फिर झड़प हुई है, जिसमें दोनों पक्ष एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने और आतंकी समूहों को शरण देने के आरोप लगा रहे हैं। यह ताज़ा टकराव पहले से बिगड़े रिश्तों और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों के बीच हुआ है।
झड़प कहां और कैसे हुई?
बढ़े तनाव के कारण सीमा पर स्थित अफ़ग़ान शहर स्पिन बोल्दक से लोगों को रातों-रात अपने घर छोड़ने पड़ें.
हाल की रिपोर्टों के अनुसार, दोनों देशों की सुरक्षा बलों के बीच अफगानिस्तान–पाकिस्तान सीमा के संवेदनशील इलाकों में गोलाबारी और भारी हथियारों से फायरिंग हुई। अफगान तालिबान ने दावा किया कि पाकिस्तानी सेना ने पहले उनकी चौकियों पर गोले दागे, जिसमें उनके कई लड़ाके मारे गए और कुछ घायल हुए। दूसरी ओर, पाकिस्तान का कहना है कि अफगान पक्ष ने बिना उकसावे के उनकी सीमा चौकियों और रिहायशी इलाकों पर फायरिंग शुरू की, जिसका जवाब आत्मरक्षा में देना पड़ा।
एक-दूसरे पर क्या आरोप लगाए जा रहे हैं?
पाकिस्तान का आरोप है कि अफगान तालिबान, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और अन्य आतंकी गुटों को अपनी जमीन पर पनाह दे रहा है और ये समूह वहां से पाकिस्तानी सुरक्षा बलों व नागरिकों पर हमले कर रहे हैं। इस्लामाबाद का कहना है कि उन्होंने कई बार काबुल से TTP के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाए गए।
तालिबान की सफाई और पलट–आरोप
अफगान तालिबान इन आरोपों को खारिज करते हुए उल्टा पाकिस्तान पर आरोप लगाता है कि वह अफगान सीमा के भीतर हवाई हमले और तोपखाने से गोलाबारी कर रहा है, जिसमें आम नागरिक भी हताहत हो रहे हैं। तालिबान का दावा है कि पाकिस्तान अपनी घरेलू असफलताओं और सुरक्षा कमज़ोरियों का ठीकरा अफगान सरकार पर फोड़ रहा है।
तनाव की जड़ कहां है?
विश्लेषकों के मुताबिक, 2021 में अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान को उम्मीद थी कि काबुल नई सरकार के जरिए TTP पर लगाम लगाएगा, लेकिन हुआ उल्टा – TTP हमले और तेज़ हुए और दोनों देशों के रिश्ते लगातार बिगड़ते गए। सीमा निर्धारण (डुरंड रेखा), सीमा पार व्यापार, शरणार्थियों की आवाजाही और आतंकी नेटवर्क की मौजूदगी, इन झगड़ों की पुरानी जड़ हैं, जो अब खुले सैन्य टकराव में बदलती दिख रही हैं।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर क्या असर?
बार–बार होने वाली इन झड़पों से डर है कि सीमित बॉर्डर क्लैश किसी बड़े सैन्य टकराव में तब्दील हो सकते हैं, जिसका असर पूरे क्षेत्र की स्थिरता और व्यापार मार्गों पर पड़ेगा। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि पाकिस्तान–तालिबान तनाव पर काबू नहीं पाया गया तो TTP और अन्य उग्रवादी गुट इस अव्यवस्था का फायदा उठाकर सीमा के दोनों ओर हमले तेज कर सकते हैं।
