Russia vs Ukraine: यूक्रेन को अब तक अमेरिका और यूरोपीय देशों की सहायता ने जंग में टिकाए रखा था, लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। अमेरिका की मदद में कटौती, NATO में बढ़ती फूट और डोनाल्ड ट्रंप-वोलोदिमीर जेलेंस्की की बहस के बाद यूक्रेन का भविष्य संकट में नजर आ रहा है। अगर अमेरिका अपनी सहायता पूरी तरह बंद कर देता है, तो यूक्रेन के लिए रूस के खिलाफ लड़ाई जारी रखना मुश्किल हो जाएगा। रूस के लिए यह रणनीतिक रूप से लाभकारी स्थिति बन गई है, जिससे युद्ध का नतीजा पूरी तरह बदल सकता है। इस नए घटनाक्रम से पुतिन की स्थिति मजबूत हो रही है, जबकि जेलेंस्की के सामने चुनौती बढ़ती जा रही है। क्या यूक्रेन इस संकट से बाहर निकल पाएगा?
अमेरिका हटा तो यूक्रेन की आधी मदद बंद
अमेरिका ने अब तक यूक्रेन को सैन्य, आर्थिक और मानवीय (Russia vs Ukraine) सहायता के रूप में 114 बिलियन यूरो दिए हैं, जो यूरोपीय देशों की सामूहिक सहायता (132 बिलियन यूरो) के लगभग बराबर है। अगर अमेरिका यह सहायता रोक देता है, तो यूक्रेन को मिलने वाली कुल मदद का लगभग आधा हिस्सा खत्म हो जाएगा। इससे यूक्रेन के लिए रूस से लड़ाई जारी रखना मुश्किल होगा और उसे समर्पण करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
यूक्रेन को लेकर ट्रंप के विचार स्पष्ट रहे हैं। अपने प्रचार अभियान के दौरान उन्होंने कई बार सवाल उठाया कि अमेरिकी टैक्सपेयर का पैसा यूक्रेन पर क्यों खर्च किया जा रहा है। अब जब वे सत्ता में आ चुके हैं, तो उनकी नीतियों से यह संकेत मिल रहा है कि अमेरिका अब यूक्रेन की रक्षा में अपनी भूमिका कम कर सकता है।
NATO में फूट से रूस को फायदा
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया था, जिसमें उससे यूक्रेन से अपनी सेना वापस बुलाने, युद्ध अपराधों की जवाबदेही लेने और युद्ध से हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की गई थी। लेकिन अमेरिका का रवैया इस प्रस्ताव पर सख्त नहीं दिखा, जिससे उसके रुख पर सवाल उठने लगे।
अमेरिका और यूरोपीय देशों की इस विभाजित स्थिति का सीधा लाभ रूस (Russia vs Ukraine) को मिल सकता है। NATO में भी यूक्रेन को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है। फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश अभी भी यूक्रेन की मदद जारी रखने का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका के पीछे हटने से NATO के अंदर एकता कमजोर हो रही है। रूस के लिए यह एक बड़ी कूटनीतिक जीत मानी जा रही है, क्योंकि उसने यूक्रेन पर आक्रमण भी NATO के विस्तार को रोकने के मकसद से किया था।
तीन साल की जंग में रूस को अब फायदा
यूक्रेन को अमेरिका और यूरोपीय देशों के सहयोग से अब तक रूस के खिलाफ मजबूती से खड़ा रखा गया था। इस युद्ध में यूक्रेन ने रूस के अंदर भी हमले किए और उसके कई ठिकानों को नुकसान पहुंचाया। हालांकि, रूस ने भी यूक्रेन के लगभग 20% हिस्से पर कब्जा जमा लिया है और अपनी सैन्य ताकत बनाए रखी है।
अब जब अमेरिका अपनी भूमिका कम करने की ओर बढ़ रहा है और NATO में भी एकजुटता कमजोर हो रही है, तो यूक्रेन को बड़ा नुकसान हो सकता है। अगर यह स्थिति जारी रहती है, तो आने वाले महीनों में रूस युद्ध में निर्णायक बढ़त बना सकता है।
ट्रंप के दावे और सच्चाई
डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने यूक्रेन पर 300-350 बिलियन डॉलर खर्च किए हैं, जबकि यूरोप ने सिर्फ 100 बिलियन डॉलर दिए हैं। हालांकि, कील इंस्टीट्यूट के मुताबिक, अमेरिका ने जनवरी 2022 से दिसंबर 2024 तक कुल 119.7 बिलियन डॉलर की सहायता यूक्रेन को दी है। अमेरिकी रक्षा विभाग का आंकड़ा 182.8 बिलियन डॉलर है, लेकिन यह भी ट्रंप के दावे से कम है।
यूरोप ने भी यूक्रेन पर काफी खर्च किया है। कील इंस्टीट्यूट के अनुसार, 2022 से 2024 के बीच यूरोप ने 138.7 बिलियन डॉलर खर्च किए, जो ट्रंप के दावे से कहीं ज्यादा है।
क्या यूक्रेन को वापस मिलेगा दिया गया धन?
यूक्रेन को दी गई आर्थिक मदद का एक बड़ा हिस्सा अनुदान के रूप में दिया गया है, जबकि यूरोपीय यूनियन ने ज्यादातर राशि कर्ज के रूप में दी है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के अनुसार, अमेरिका और यूरोप दोनों ने ऋण और अनुदान मिलाकर सहायता दी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यूक्रेन इस मदद को वापस करने में सक्षम होगा या नहीं।
क्या यूक्रेन अब युद्ध जीत सकता है?
परिस्थितियों को देखते हुए यूक्रेन (Russia vs Ukraine) के लिए यह युद्ध पहले से कहीं ज्यादा कठिन होता जा रहा है। अमेरिका की संभावित सहायता कटौती, NATO में फूट और रूस की मजबूत होती स्थिति ने यूक्रेन के सामने एक नया संकट खड़ा कर दिया है। अब यह देखना होगा कि यूक्रेन इस बदलते परिदृश्य में अपने लिए कितनी मजबूती से लड़ सकता है या उसे किसी समझौते की ओर बढ़ना होगा।