Sheikh Hasina Death Penalty: शेख हसीना को फांसी की सजा, जानें क्या है पूर्व PM पर आरोप.. अब क्या होगा भारत का रुख

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 1400 लोगों की मौत वाले प्रदर्शन मामले में ICT ने दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने उन्हें हिंसा रोकने में विफल और आदेश देने का जिम्मेदार माना।

Sheikh Hasina verdict update

Sheikh Hasina Verdict Update:ढाका से आई एक बड़ी खबर ने पूरे दक्षिण एशिया की राजनीति में हलचल मचा दी है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बीते वर्ष देश में हुए व्यापक प्रदर्शनों और लगभग 1400 नागरिकों व आंदोलनकारियों की मौत के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है। यह फैसला इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने सुनाया, जहाँ आदेश पढ़ते ही कोर्ट में मौजूद लोगों ने तालियों से स्वागत किया और माहौल उत्साह से भर गया।

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल ने क्या कहा?

अदालत ने अपने फैसले में साफ कहा कि शेख हसीना तीन गंभीर आधारों पर दोषी पाई गईं

लोगों को भड़काने का आरोप

हत्या के आदेश देने का आरोप

स्थिति को संभालने और दोषियों पर कार्रवाई करने में नाकामी

ICT ने पहले आरोप के तहत उन्हें मरते दम तक जेल में रखने की सजा सुनाई, जबकि बाकी आरोपों के आधार पर फांसी की सजा तय की।

कोर्ट ने यह भी कहा कि शेख हसीना का सुनवाई के दौरान उपस्थित न होना यह दर्शाता है कि वे आरोपों का सामना करने से बच रही थीं। यही रवैया उन्हें दोषी ठहराने का एक आधार बना।

सरकारी स्तर पर बैठकों के चौंकाने वाले खुलासे

ट्रिब्यूनल ने यह भी पाया कि:

19 जुलाई के बाद गृह मंत्री के आवास पर कई अहम बैठकें हुईं।

इन बैठकों में कथित तौर पर छात्र आंदोलन को कठोर तरीके से दबाने के निर्देश दिए गए।

अवामी लीग समर्थकों पर प्रदर्शनकारियों को परेशान करने के आरोप भी सामने आए।

जांच के दौरान पुलिस महानिरीक्षक (IGP) से पूछताछ की गई, जिन्होंने अदालत के अनुसार, कुछ गतिविधियों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। यह गवाही अदालत के फैसले में महत्वपूर्ण साबित हुई।

ट्रिब्यूनल का कड़ा रुख

जज ने अपने फैसले में कहा कि यदि शेख हसीना अपनी जिम्मेदारी निभातीं और हालात को नियंत्रित करतीं, तो इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और मौतें टाली जा सकती थीं। अदालत ने इसे शासन की विफलता और गंभीर लापरवाही करार दिया।

फैसले के बाद बांग्लादेश में माहौल

फैसले के बाद कोर्ट परिसर में मौजूद लोगों ने तालियाँ बजाकर आदेश का स्वागत किया। समर्थकों और विरोधियों दोनों में इस फैसले को लेकर गहन चर्चा जारी है। यह बांग्लादेश की राजनीति का अब तक का सबसे बड़ा कानूनी फैसला माना जा रहा है।

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