Death Verdict: ढाका की अदालत से मिली मौत की सज़ा, भारत में कूटनीतिक संकट जानिए शेख हसीना का पूरा मामला

ICT-1 ने मानवता के खिलाफ अपराध में शेख हसीना को मौत की सज़ा दी, लेकिन भारत से प्रत्यर्पण राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा कारणों से मुश्किल माना जा रहा है।

Sheikh Hasina verdict India reaction

Sheikh Hasina Death Verdict :बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना इस वक्त भारत में रह रही हैं। उनके खिलाफ ढाका की अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण—ICT-1 ने मानवता के खिलाफ अपराधों में मौत की सज़ा सुनाई है। लेकिन असली सवाल यह है कि क्या भारत उन्हें बांग्लादेश को लौटाएगा या नहीं? और क्या इस फैसले का भारत में कोई कानूनी असर पड़ता है?

छात्र आंदोलन जिसने सत्ता बदल दी

2024 में बांग्लादेश की आरक्षण नीति में बदलाव के खिलाफ शुरू हुआ छात्र आंदोलन कुछ ही घंटों में बड़े विरोध में बदल गया। रिपोर्टों के अनुसार इस हिंसा में 1,200 से अधिक लोग मारे गए, हजारों घायल हुए और कई छात्रों को गिरफ्तार किया गया। कई दिनों तक सोशल मीडिया बंद रहा और देश में हालात बिगड़ते चले गए।
इसी उथल-पुथल के बीच सेना तटस्थ हो गई और संसद भंग कर दी गई। अगस्त 2024 में शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ गईं। भारतीय एजेंसियों ने उन्हें सुरक्षा दी, और उनका ठिकाना भी पूरी तरह गोपनीय रखा गया।

ICT-1 का फैसला और गंभीर आरोप

17 नवंबर को ICT-1 ने तीन बड़े आरोपों के आधार पर शेख हसीना को मौत की सज़ा सुनाई

प्रदर्शनकारियों पर हवाई हमले की मंज़ूरी,

शहरों में एयर-टार्गेटिंग का आदेश,

और मानवाधिकारों का बड़े स्तर पर उल्लंघन।

अदालत ने कहा कि सरकारी बलों का इस्तेमाल ऐसे किया गया जैसे किसी दुश्मन पर हमला किया जा रहा हो। अभियोजन पक्ष ने एक कॉल रिकॉर्डिंग भी दिखाई, जिसके आधार पर अदालत ने उन्हें दोषी माना।

शेख हसीना की प्रतिक्रिया

भारत में रहते हुए शेख हसीना ने इस फैसले को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया। उनका कहना है कि यह अदालत निष्पक्ष नहीं है और यह फैसला उन्हें और उनकी पार्टी को राजनीति से हटाने की कोशिश है। उन्होंने इसे “कंगारू कोर्ट” बताया और इस मुकदमे की मान्यता को भी नकार दिया।

क्या यह सज़ा भारत में लागू होती है?

भारत का कानून साफ कहता है कि किसी विदेशी अदालत की सज़ा यहां सीधे लागू नहीं होती।
मतलब—भारत में मौजूद हसीना पर इस मौत की सज़ा का कोई कानूनी असर नहीं पड़ता।

क्या भारत उन्हें बांग्लादेश को सौंप सकता है?

भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण करार है, लेकिन भारत तीन सुरक्षा नियम लागू करता है।

राजनीतिक प्रतिशोध का खतरा,

निष्पक्ष ट्रायल का अभाव,

या मौत की सज़ा का जोखिम।

इन तीनों में से एक भी कारण मिलने पर भारत प्रत्यर्पण रोक सकता है, और इस मामले में तीनों कारण मौजूद हैं।

भारत लौटाए या न लौटाए—दोनों के प्रभाव

अगर भारत सौंपे:

बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल बढ़ सकता है,

भारत पर राजनीतिक दखल का आरोप लग सकता है।

अगर न सौंपे:

बांग्लादेश नाराज़ होकर व्यापार और सुरक्षा सहयोग कम कर सकता है,

वह चीन की ओर ज्यादा झुक सकता है।

भारत का आगे का रास्ता

भारत तीन में से कोई भी रणनीति अपना सकता है।

चुपचाप शरण देना

मानवाधिकारों के आधार पर प्रत्यर्पण से इनकार

शर्तों के साथ प्रत्यर्पण की बात—जैसे मौत की सज़ा हटाना।

अभी पूरी दुनिया देख रही है कि भारत क्या फैसला करता है, क्योंकि अब शेख हसीना की ज़िंदगी अदालत नहीं, भारत की कूटनीतिक नीति तय करेगी।

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