Sunita Williams News: भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर का स्पेसएक्स ड्रैगन कैप्सूल धरती पर लौटने की तैयारी में है। अंतरिक्ष से 9 महीने 13 दिन बाद लौट रही सुनीता की सुरक्षित वापसी को लेकर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं। अगर सब कुछ सामान्य रहा तो बुधवार सुबह 3:30 बजे के आसपास ड्रैगन कैप्सूल की लैंडिंग होगी। लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार कई तरह की चुनौतियाँ इस वापसी में मुश्किलें पैदा कर सकती हैं। इनमें पैराशूट का समय पर न खुलना, तकनीकी गड़बड़ी और खराब मौसम जैसे कारक शामिल हैं।
वापसी के इस मिशन में सबसे बड़ा चैलेंज स्पेसक्राफ्ट का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करना है। अगर एंगल या स्पीड में थोड़ी भी चूक हुई तो एयरक्राफ्ट क्रैश कर सकता है। इसके अलावा, जीरो ग्रैविटी में लंबे समय तक रहने के कारण अंतरिक्ष यात्रियों का शरीर कमजोर हो गया है। यह धरती पर लौटने के बाद सामान्य होने में कई महीने लेगा।
वायुमंडल में प्रवेश- सबसे बड़ा चैलेंज
धरती के वायुमंडल में स्पेसक्राफ्ट का प्रवेश सबसे जटिल और जोखिम भरा चरण है। 1 फरवरी 2003 को नासा का कोलंबिया यान इसी प्रक्रिया के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें कल्पना चावला सहित सभी अंतरिक्ष यात्री मारे गए थे। वैज्ञानिक इस बार हर संभव एहतियात बरत रहे हैं।
रिएंट्री के दौरान ड्रैगन कैप्सूल की गति लगभग 27,000 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। अगर एंगल में थोड़ी भी गड़बड़ी होती है, तो कैप्सूल या तो क्रैश कर जाएगा या वायुमंडल से बाहर स्पेस में भटक जाएगा। यही नहीं, स्प्लैशडाउन के समय पैराशूट का सही समय पर न खुलना भी बड़ा खतरा हो सकता है।
अंतरिक्ष यात्रियों की सेहत पर बड़ा असर
Sunita Williams और बुच विल्मोर का शरीर अंतरिक्ष में 9 महीने 13 दिन रहने के कारण बेहद कमजोर हो गया है। नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री लेरॉय चियाओ के अनुसार, उनके पैर नवजात शिशु की तरह नरम हो चुके हैं, जिससे वे तुरंत चलने में सक्षम नहीं होंगे।
धरती पर लौटने के बाद उनके पैरों की त्वचा को कठोर बनने में कई सप्ताह लग सकते हैं। मांसपेशियाँ और हड्डियाँ भी कमजोर हो चुकी हैं। अंतरिक्ष में रहने के कारण हड्डियों का घनत्व प्रतिमाह एक प्रतिशत तक कम हो गया है, जिससे हड्डियाँ कच्ची हो गई हैं।
स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा
लंबे समय तक जीरो ग्रैविटी में रहने के कारण सुनीता विलियम्स के शरीर में खून की कमी हो सकती है। उनका दिल अंडाकार से गोल हो गया है और नसें सिकुड़ गई हैं। इसके अलावा, आँखों में धुंधलापन और ब्लडप्रेशर में अस्थिरता की समस्या भी हो सकती है। वैज्ञानिकों को चिंता है कि वे स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) से भी ग्रसित हो सकती हैं।
धरती पर वापसी- नया जीवन
अगर ड्रैगन कैप्सूल सफलतापूर्वक लैंड कर गया, तो यह सुनीता विलियम्स और उनके साथियों के लिए नए जीवन का प्रतीक होगा। अंतरिक्ष में लंबी अवधि तक रहने के कारण उनके शरीर को पुनः सामान्य बनाने में कई महीने लग सकते हैं। सुनीता और बुच विल्मोर को नए सिरे से चलने, खड़े होने और शरीर को संतुलित करने की आदत डालनी होगी।
नासा और स्पेसएक्स की टीमें इस ऐतिहासिक वापसी पर कड़ी नजर रख रही हैं। फ्लोरिडा के तट पर स्प्लैशडाउन की योजना बनाई गई है, लेकिन मौसम खराब होने पर स्थान बदल भी सकता है। अगर यह मिशन सफल रहा तो यह अंतरिक्ष अन्वेषण में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी।
धरती पर लौटने के बाद Sunita Williams का नया सफर शुरू होगा—एक नवजात की तरह चलने और जीने का। यह न केवल विज्ञान के लिए बल्कि मानव सहनशक्ति और धैर्य के लिए भी एक अनोखा अध्याय होगा।