Tough Time for International Students in US: पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में पढ़ाई के लिए जाने वाले विदेशी छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रंप प्रशासन की सख्त नीतियों ने इस रास्ते को और मुश्किल बना दिया है। अब अमेरिकी यूनिवर्सिटीज में दाखिला पाना पहले जितना आसान नहीं रह गया है। नई वीज़ा अपॉइंटमेंट्स पर रोक लगा दी गई है और छात्रों के सोशल मीडिया अकाउंट्स की गहराई से जांच की जा रही है। कई छात्रों का कानूनी दर्जा रद्द कर दिया गया है और कुछ को डिपोर्ट भी किया गया है। इस वजह से बहुत से छात्र अब अमेरिका जाने से हिचकिचा रहे हैं।
छात्रों की संख्या में भारी गिरावट
इंटरनेशनल एजुकेशन को बढ़ावा देने वाली एजेंसी NAFSA की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बार अमेरिका में विदेशी छात्रों का नया एडमिशन 30 से 40 प्रतिशत तक घट सकता है। इससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को करीब 7 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। अमेरिका की सख्ती का फायदा अब दूसरे देशों को मिल रहा है। कई छात्र अब दूसरे विकल्प तलाश रहे हैं, जहां उन्हें पढ़ाई के लिए अनुकूल माहौल मिल सके।
ब्रिटेन में रिकॉर्ड एडमिशन
अमेरिका के बाद विदेश में पढ़ाई के लिए सबसे पसंदीदा देश ब्रिटेन रहा है। इस बार यहां एडमिशन लेने वाले विदेशी छात्रों की संख्या में अच्छी खासी बढ़ोतरी हुई है। नए आंकड़ों के अनुसार, यूके में इंटरनेशनल एप्लीकेंट्स की संख्या 2.2% बढ़ी है। खासतौर पर चीन से आने वाले छात्रों की संख्या में 10% का रिकॉर्ड इजाफा देखने को मिला है। हालांकि, ब्रिटेन की नई लेबर सरकार पोस्ट-स्टडी वीज़ा को सीमित करने की बात कर रही है, लेकिन फिर भी ‘बिग फोर’ देशों में यूके को अब भी सबसे ज्यादा स्वागत करने वाला देश माना जा रहा है।
एशियाई देशों में भी बढ़ रहा है आकर्षण
अब एशिया भी एजुकेशन का नया केंद्र बनता जा रहा है। हांगकांग, सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों में विदेशी छात्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हांगकांग यूनिवर्सिटी को अमेरिका में पढ़ रहे 500 से ज्यादा छात्रों ने एप्लाई किया है। हांगकांग सरकार ने साफ कहा है कि जो छात्र अमेरिका में पढ़ने नहीं जा पा रहे हैं, उन्हें वे अपने यहां पढ़ने का मौका देंगे। इसके अलावा यूएई जैसे देशों में बड़ी यूनिवर्सिटी ब्रांचेस का खुलना भी छात्रों के लिए नया विकल्प बन रहा है।
अब छात्रों के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे अपनी पढ़ाई की योजना बनाते समय सिर्फ अमेरिका पर निर्भर न रहें। दुनिया के बाकी हिस्सों में भी बेहतर विकल्प मौजूद हैं, जो न सिर्फ सुलभ हैं बल्कि सुरक्षित भी।