Trump Reciprocal Tariff Plan: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2025 चुनावी अभियान के दौरान भारत और चीन जैसे देशों पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने की घोषणा कर दी है। ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका को अब व्यापार में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए इन देशों से वही शुल्क लेना होगा, जो वे अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। इस फैसले से वैश्विक व्यापार में तनाव बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। भारत, जो अमेरिका का प्रमुख व्यापारिक भागीदार है, हर साल अरबों डॉलर का व्यापार करता है। ट्रम्प का कहना है कि अमेरिका अब तक व्यापार में असमान नीतियों का शिकार रहा है और इस नए फैसले से संतुलन स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। इस योजना को अप्रैल 2025 तक लागू किए जाने की संभावना है।
ट्रम्प ने क्यों लिया यह फैसला?
Trump ने इस घोषणा को वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक के शपथ ग्रहण समारोह में दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका अब उन देशों पर बराबर शुल्क लगाएगा, जो अमेरिकी वस्तुओं पर ऊंचे टैरिफ लगाते हैं। ट्रम्प का मानना है कि अमेरिका ने लंबे समय से अपने व्यापारिक साझेदारों को अधिक स्वतंत्रता दी है, जिससे घरेलू व्यापार प्रभावित हुआ है।
उन्होंने कहा, “भारत और चीन हमसे जो शुल्क लेते हैं, हम भी उन पर उतना ही शुल्क लगाएंगे। यह बेहद जरूरी है ताकि व्यापार संबंधों में समानता लाई जा सके।”
हम भारत और चीन पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाएंगे.
ये हमने पहले कभी नहीं किया, लेकिन अब हम इसे करेंगे.
: डोनाल्ड ट्रंप pic.twitter.com/5pA5Zlyuhj
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) February 25, 2025
भारत और चीन पर क्या असर पड़ेगा?
भारत और चीन अमेरिका के दो सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं। भारत हर साल अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जबकि आयात मात्र 42.2 अरब डॉलर का होता है, जिससे भारत को बड़ा व्यापार अधिशेष मिलता है।
- भारत, अमेरिकी वस्तुओं पर औसतन 9.5% टैरिफ लगाता है, जो एशिया में सबसे अधिक है।
- चीन, अमेरिकी उत्पादों पर 7.1% टैरिफ लगाता है, जिससे दोनों देशों के व्यापार संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
- इस फैसले से कृषि, फार्मा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
वैश्विक व्यापार पर प्रभाव
Trump की इस नीति के लागू होने से अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध फिर से तेज हो सकता है। चीन ने पहले भी अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि इससे वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो सकती है। साथ ही, भारत और चीन जैसे देश भी जवाबी कदम उठा सकते हैं, जिससे व्यापार संतुलन बिगड़ सकता है।
Trump प्रशासन इस नीति को अमेरिकी उत्पादकों और किसानों के हित में बता रहा है। हालांकि, विश्लेषकों का कहना है कि इससे अमेरिका के साथ व्यापार करने वाले देशों के साथ आर्थिक तनाव और बढ़ सकता है। अब नजर इस पर है कि भारत और चीन इस नीति के जवाब में क्या कदम उठाते हैं।