ट्रंप ने क्यों दिया ऐसा बयान?
Trump ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने “बहुत खराब काम” किया है और अगर वे चाहते, तो रूस के साथ शांति वार्ता कर सकते थे। ट्रंप ने आरोप लगाया कि जेलेंस्की एक “कॉमेडियन” हैं, जो अमेरिका की आर्थिक मदद पर निर्भर हैं और यदि चुनाव होते, तो उनकी हार तय थी।
ट्रंप का यह बयान जेलेंस्की के उस फैसले पर केंद्रित था, जिसमें उन्होंने रूस के साथ चल रहे युद्ध के कारण देश में चुनाव स्थगित कर दिए थे। यूक्रेन में युद्ध के चलते आपातकाल लागू है, और जेलेंस्की का कहना है कि मौजूदा हालात में चुनाव कराना संभव नहीं है। हालांकि, ट्रंप ने इसे एक तानाशाही कदम बताया और कहा कि जेलेंस्की को जल्द ही सत्ता छोड़नी चाहिए।
Trump ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर भी जेलेंस्की को निशाना बनाते हुए लिखा, “चुनाव के बिना तानाशाह, जेलेंस्की को जल्दी से जल्दी आगे बढ़ना चाहिए, नहीं तो उनके पास कोई देश नहीं बचेगा।”
अमेरिकी मदद पर उठाए सवाल
Trump ने अपने बयान में इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ने यूक्रेन को भारी वित्तीय सहायता दी है, लेकिन इसके बावजूद युद्ध खत्म नहीं हो सका। उन्होंने कहा, “एक मामूली सफल कॉमेडियन वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अमेरिका को 350 बिलियन डॉलर खर्च करने के लिए मना लिया, एक ऐसे युद्ध में जिसे जीता नहीं जा सकता था, जिसे कभी शुरू ही नहीं करना चाहिए था।”
यूक्रेन को अमेरिकी सहायता की निगरानी करने वाले अमेरिकी विशेष महानिरीक्षक के अनुसार, फरवरी 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद से अमेरिका ने लगभग 183 बिलियन डॉलर की सहायता दी है। ट्रंप ने इसे अमेरिकी करदाताओं के पैसे की बर्बादी बताया और कहा कि यदि वे राष्ट्रपति होते, तो यह युद्ध कभी शुरू नहीं होता।
जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं की प्रतिक्रिया
डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान पर यूक्रेन और यूरोपीय नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। जेलेंस्की ने ट्रंप के बयान को निराशाजनक बताते हुए कहा कि दुनिया को अब यह तय करना होगा कि वह “पुतिन के साथ है या शांति के साथ।”
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने कहा कि युद्ध के दौरान चुनाव न कराना पूरी तरह उचित है और जेलेंस्की ने कठिन परिस्थितियों में अपने देश का नेतृत्व किया है। वहीं, जर्मनी ने भी ट्रंप की टिप्पणी की निंदा की और यूक्रेन को समर्थन जारी रखने की बात दोहराई।
अमेरिकी विदेश नीति पर असर?
विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान उनकी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसके तहत वे यूक्रेन को रूस के साथ समझौता करने के लिए मजबूर करना चाहते हैं। ट्रंप पहले भी पुतिन को “बुद्धिमान” बता चुके हैं और यह संकेत दे चुके हैं कि यदि वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो युद्ध को जल्द खत्म करेंगे।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने आश्वस्त किया है कि यूक्रेन को वार्ता से बाहर नहीं रखा जाएगा और संघर्ष को खत्म करने के लिए सभी पक्षों की सहमति आवश्यक होगी। उन्होंने कहा, “यहां किसी को भी दरकिनार नहीं किया जा रहा है। जाहिर है, यूक्रेन, यूरोप और अन्य भागीदारों के साथ विचार-विमर्श जारी रहेगा।”
सोशल मीडिया पर बवाल
ट्रंप के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। जहां कुछ लोग उनके बयान का समर्थन कर रहे हैं, वहीं कई इसे गैर-जिम्मेदाराना करार दे रहे हैं। अमेरिका में रिपब्लिकन समर्थकों के बीच ट्रंप की इस टिप्पणी को सही ठहराया जा रहा है, जबकि डेमोक्रेट्स ने उनकी आलोचना की है।
भारत में भी इस बयान की चर्चा हो रही है। कुछ लोगों ने इसे ट्रंप की बेबाक शैली का हिस्सा माना, जबकि अन्य ने इसे वैश्विक कूटनीति के लिए हानिकारक बताया।
क्या होगा अगला कदम?
डोनाल्ड ट्रंप का यह बयान वैश्विक राजनीति में हलचल पैदा कर सकता है। अगर वह फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनकी विदेश नीति यूक्रेन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान के बाद अमेरिका, रूस और यूक्रेन के बीच कूटनीतिक गतिविधियां कैसे आगे बढ़ती हैं।