नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। जिसका डर था, वही हुआ। यूक्रेन ने रूस पर अब तक का सबसे बड़ा हमला कर सनसनी मचा दी। यूक्रेनी द्रोन हमले में हमले में रूस के बॉम्बर जेट्स पूरी तरह से तबाह हो गए। यूक्रेन का कहना है कि उसने दुश्मन के घर में घुसकर उसके 40 बॉम्बर्स को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। रूस के पांच से अधिक एयरबेस के अलावा मास्को में भी द्रोन ने कहर बरपाया। बताया जा रहा है कि रविवार को करीब 117 द्रोन के जरिए यूक्रेनी सेना ने इस अटैक को अंजाम दिया। एक न्यूज एजेंसी ने दावा किया है कि यूक्रेन ने इस हमले में रूस को करीब सात अरब डॉलर की चोट पहुंचाई है। वहीं रूस के एक न्यूज चैनल ने इसे पर्ल हार्बर बता डाला है। ऐसे में अब रूस के पलटवार के डर नाटो के अंदर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि रूस के एटमी हथियारों को मूवमेंट शुरू हो गया है।
40 विमान नष्ट
दरअसल, रूस और यूक्रेन के बीच जंग का आगाज तीन साल पहले हुआ था। यूक्रेन के राष्ट्रपति ने तब ऐलान किया था कि वह नाटो में शामिल होंगे। जिसका विरोध रूस ने किया। रूस ने चेतावनी दी थी कि अगर यूक्रेन नाटो में शामिल हुआ तो उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। रूस की चेतावनी का यूक्रेन पर असर नहीं हुआ। तभी रूस ने यूक्रेन पर अटैक कर दिया। तब से ये जंग जारी है। रविवार को यूक्रेन ने अब तक का सबसे बड़ा हमला कर रूस के रणनीतिकारों के पैरों के तले से जमीन खिसका दी। यूक्रेन ने रूसी एयरबेस को निशाना बनाते हुए उसके 40 विमान नष्ट कर दिए। यूक्रेन की सुरक्षा सेवा (एसबीयू) ने इसे रूस पर हुआ अब तक का सबसे बड़ा हमला कहा है। हमले की व्यापकता और रूस को हुए नुकसान को देखते हुए इसकी तुलना 1941 के पर्ल हार्बर अटैक से की जा रही है।
ऑपरेशन का नाम स्पाइडर वेब
यूक्रेन ने रूस के भीतर स्थित सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाने के लिए स्पाइडर वेब नाम का ऑपरेशन चलाया। इस ऑपरेशन को करीब डेढ़ साल तक बनाई गई लंबी योजना के बाद अंजाम दिया गया है। इसके तहत यूक्रेन ने 117 ड्रोन का उपयोग करके रूसी हवाई अड्डों पर हमला किया, जिससे रूस को 7 अरब डॉलर का नुकसान होने का दावा किया जा रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की ने इसे अपनी सेना का अब तक का सबसे लंबी दूरी का हमला कहा है। यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने बताया है कि इस ऑपरेशन में इस्तेमाल किए गए 117 ड्रोन के साथ ड्रोन ऑपरेटरों की समान संख्या शामिल थी। यूक्रेन ने रूस में लक्ष्यों पर हमला करने के लिए सीधे ड्रोन लॉन्च करने के बजाय एक अलग और बेहद नया तरीका अपनाया। विस्फोटकों से भरे यूक्रेनी ड्रोन्स को लकड़ी के ढांचे के अंदर छिपाकर रूस में तस्करी के जरिए पहुंचाया गया।
ऐसे दिया गया हमले को अंजाम
इन लकड़ी के ढांचे को ट्रकों पर लादा गया था, जो एयरबेस के पास तक पहुंचाए गए। यूक्रेनी सुरक्षा सूत्र के अनुसार, ये ट्रक टागरेटिड एयरबेस के पास तक पहुंचने के बाद आगे की कार्रवाई की गई। इन ड्रोन के अपने टारगेट पर पहुंचने के बाद लकड़ी के ढांचे की छतें दूर से खोली गईं। इसके बाद ड्रोन ने उड़ान भरी और हमला शुरू कर दिया। ऑपरेशन के सबसे दिलचस्प हिस्से को साझा करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि रूसी क्षेत्र पर यूक्रेन के ऑपरेशन का संचालन करने के लिए ऑफिश एफएसबी के मुख्यालय के ठीक बगल में बनाया गया। यूक्रेन ने कहा है कि उसके ड्रोन हमलों में रूस के 41 विमानों को नुकसान पहुंचा है। रूस के न्यूक्लियर कैपेबल टीयू-95, टीयू-22 बमवर्षक और ए-50 विमान इस हमले में तबाह हुए हैं। यूक्रेन का कहना है कि इन विमानों का इस्तेमाल उसकी जमीन पर बमबारी करने के लिए किया गया था।
जो आज तक इतिहास के पन्नों में जिंदा
रूसी रक्षा मंत्रालय ने माना है कि यूक्रेन के ड्रोन हमलों में मुरमांस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाजान और अमूर एयरबेस को निशाना बनाया गया है। अब यूक्रेन के ड्रोन अटैक को पर्ल हार्बर अटैक से जोड़ा जा रहा है। दरअसल, 7 दिंसबर 1941 को अमेरिका में पर्ल हार्बर अटैक हुआ था, जो आज तक इतिहास के पन्नों में जिंदा है। जापान ने स्थानीय समयानुसार सुबह 7 बजकर 48 मिनट पर अचानक हवाई हमला किया। हवाई के ओआहू द्वीप पर अमेरिकी नेवी बेस पर्ल हार्बर को इस हमले में निशाना बनाया गया था। हमले में इंपीरियल जापानी नेवी के 177 एयरक्राफ्ट ने बेस पर हमला बोला था। उनका मकसद अमेरिकी नौसेना की पैसिफिक फ्लीट को ज्यादर से ज्यादा नुकसान पहुंचाना था। ताकि उसी दिन साउथ ईस्ट एशिया में दक्षिण-पूर्व एशिया में ब्रिटिश, डच और अमेरिकी क्षेत्रों के खिलाफ होने वाले जापानी अभियानों को रोका न जा सके।
पर्ल हर्बर हमले में हुआ विनाश
पहले हमले में हैंगर्स पर बम बरसाए गए और पार्क किए गए एयरक्राफ्ट को निशाना बनाया गया। जबकि उसी समय हार्बर पर मौजूद यूएस वॉरशिप्स पर टॉरपीडो दागे गए। हमले के पहले पांच मिनट में चार युद्धपोतों को निशाना बनाया गया। जिनमें यूएसएस ओक्लाहोमा और यूएसएस एरिजोना शामिल थे। कुछ ही मिनटों बाद, एरिजोना में एक बम, बारूद के स्टोर पर गिर गया था, जिसकी वजह से जहाज डूब गया और क्रू के 1,177 लोगों की मौत हो गई। यह हमले यही नहीं रुके और एक घंटे बाद 163 जापान के एयरक्राफ्ट का दूसरा जत्था आया। दो घंटे के अंदर 21 अमेरिकी युद्धपोत डूब गए या फिर क्षतिग्रस्त हो गए। 188 एयरक्राफ्ट तबाह हो गए और 2,403 अमेरिकी सैनिक और महिलाओं की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद अमेरिका ने जमान पर परमाणु हमला किया था। जापान के दो शहर हिरोशिमा, नागाशाकी में एटम बम गिराए गए और इसी के बाद दूसरे विश्व युद्ध का अंत हुआ।