Australia geography-ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे बड़े देशों में गिना जाता है। ये आकार में छठे नंबर पर आता है और दुनिया का सबसे छोटा महाद्वीप भी है। जितना बड़ा इसका एरिया है, उतनी बड़ी इसकी आबादी नहीं है।
दिलचस्प बात ये है कि ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या भारत की राजधानी दिल्ली से भी कम है। और अगर हम तुलना करें, तो ऑस्ट्रेलिया का क्षेत्रफल भारत से ढाई गुना ज़्यादा है। फिर सवाल उठता है – इतनी ज़मीन होते हुए भी यहां लोग क्यों नहीं रहते?
कितनी है ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या
ऑस्ट्रेलिया की आबादी करीब 2 करोड़ 60 लाख के आसपास है। ज्यादातर लोग समुद्र के किनारे बसे इलाकों यानी कोस्टल जोन में रहते हैं।
इतिहास में देखें तो सबसे पहले एशिया से कुछ मूल निवासी यहां आकर बसे थे। फिर यूरोप और अमेरिका से लोग यहां पहुंचे। इसके बावजूद यहां की आबादी बहुत कम है। कुछ कस्बे तो ऐसे हैं जहां सिर्फ 50-100 लोग ही रहते हैं। सरकार चाहती है कि ज्यादा लोग इन वीरान इलाकों में आकर बसें, लेकिन लोग वहां रहना पसंद नहीं कर रहे क्योंकि सुविधाएं नहीं हैं और रहन-सहन मुश्किल है।
ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन के तीन हिस्से
ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन को तीन मुख्य भागों में बांटा गया है:
वेस्टर्न प्लेटो (Western Plateau) ये ऑस्ट्रेलिया के लगभग दो-तिहाई हिस्से में फैला हुआ है। यहां बड़े-बड़े रेगिस्तान हैं और गर्मी बहुत ज़्यादा होती है, इसलिए इंसानों के रहने लायक नहीं है।
सेंट्रल लोलैंड्स (Central Lowlands) यह इलाका समतल है लेकिन यहां की नदियों में पानी खारा यानी नमकीन होता है। ये पानी न तो पीने लायक होता है, और न ही खेती के काम आता है।
ईस्टर्न हाइलैंड्स (Eastern Highlands) ये हिस्सा पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है। यहां की मिट्टी थोड़ी उपजाऊ है और पानी भी मिल जाता है, लेकिन यहां रहना थोड़ा कठिन हो जाता है क्योंकि बुनियादी सुविधाएं कम हैं।
क्यों है 95% हिस्सा वीरान
ऑस्ट्रेलिया की करीब 95% ज़मीन वीरान और बंजर है।
यहां का बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी है, जहां गर्मी इतनी ज्यादा होती है कि दिन में तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। इतना तापमान इंसानों के रहने के लिए अनुकूल नहीं होता। इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया चारों तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। पैसिफिक और इंडियन ओशियन। ऐसे में लोग उन जगहों पर रहना पसंद करते हैं जहां समंदर पास हो, सुविधाएं हों, और ज़मीन उपजाऊ हो।
यहां की मिट्टी भी 5 लाख साल पुरानी मानी जाती है। इतनी पुरानी ज़मीन की ऊपरी परत यानी टॉपसॉइल लगभग खत्म हो चुकी है। इसी कारण खेती करना मुश्किल हो गया है और ज़्यादातर इलाका सूखा और बंजर बना हुआ है।