किसी ने सच ही कहा है की सोएंगे तेरी गोद में एक दिन मरके, दम दम भी जो तोड़ेंगे तेरा दम भर के… हमने तो नमाजें भी पढ़ी हैं अक्सर, गंगा तेरे पानी से वजू करके…, ये कहावत एक दम सत्य साबित होती है जब हिंदू- मूस्लिम एक साथ होते है और दोने के बीच प्रेम होता है। जो एकता का संदेश देता है। जब भी अक्सर हम ऐसी तस्वीरें देखते है जिसमें कोई मुस्लिम हिंदू के त्यौहार में उन्हें बधाईयां दे रहा होता है या फिर उनके साथ उस त्यौहार को मना रहा होता है तो अक्सर ये तस्वीरे लोगों के दिल को छू जातदी है। आज जहां देश में जगह- जगह से सांप्रदायिक तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं तो वहीं जनपद अम्बेडकर नगर रामलीला मंचन में हिन्दू, मुस्लिम का एक साथ होना आपसी सद्भाव और भाईचारे की एक मिसाल है। जहाँ वर्षों से हनुमान की भूमिका निभाने के साथ- साथ उन्हें पूरी श्रद्धा से पूजतें भी है।
जनपद अम्बेडकर नगर के करतोरा गांव में 1965 से अनवरत लगातार चली आ रही रामलीला में मुस्लिम कलाकारों के बिना इनका मंचन नहीं होता है। मुस्लिम समुदाय के लोग रामलीला में कलाकारों की भूमिका निभा कर भाईचारे का संदेश देते है। वहीं इस रामलीला को देखने आने वालों में सिर्फ हिंदू ही नहीं वल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी अधिक संख्या में नजंर आते हैं। रामलीला में हनुमान का किरदार निभा रहे का नाम जमालुद्दीन सिद्दीकी है।
जमालुद्दीन सिद्दीकी से जब पूछा गया कि आप एक मुस्लिम होकर हिंदू भगवान का किरदार कर रहें हों तो इसपर जमालुद्दीन कहा कि मैं हनुामन का किरदार क्यों नहीं कर सकता क्योंकी मैं मुस्लिम हूं, कहा नहीं उससे पहले मैे एक इंसान हूं।
वहीं आदर्श रामलीला कमेटी करतेरा के अध्यक्ष राकेश चौधरी ने बताया कि ये क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हिंदु- मुस्लिम भाइचारे का पैगाम दे रहा है। यहां आज तक मजहब और जातिवाद को लेकर किसी भी तरह की कभी भी कोई हिंसा नहीं हुई, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एक दूसरे के त्यौहारों को मिल जुलकर मनाते हैं। उन्हें खुशी है कि रामलीली में मुस्लिम समुदाय के लोग भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। ये अमन और आपसी भाइचारे का संदेश देते हैं। उन्हें यकीन है कि आने वाले समय में गांव की रामलीला हिंदू-मुस्लिम आपसी भाइचारे की मिसाल कायम करेंगी।