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Jitiya Vrat 2025: माताओं का विशेष पर्व, संतान की लंबी उम्र और खुशहाली की कामना का व्रत जानिए पूजा विधि का सही तरीका

जितिया व्रत माताओं के लिए बहुत खास होता है। यह व्रत संतान की लंबी उम्र,अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। पारण का समय और पूजा विधि सही तरीके से पालन करना जरूरी है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
September 16, 2025
in धर्म
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Jitiya Vrat 2025: हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत माताएं अपने बच्चों की सेहत, सुरक्षा और लंबी उम्र की दुआ करने के लिए रखती हैं। इस बार व्रत का पारण 15 सितंबर 2025, सोमवार को किया जाएगा। पारण का शुभ समय सुबह 6:10 बजे से 8:32 बजे तक है। इस समय में ही भोजन करना चाहिए, ताकि व्रत पूर्ण माना जाए।

जितिया व्रत क्यों मनाया जाता है?

हिंदू धर्म में जितिया व्रत को संतान के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें माताएं निर्जल रहकर पूरे दिन पूजा करती हैं। जीमूतवाहन की कथा सुनाई जाती है, जो त्याग और बलिदान का प्रतीक मानी जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा से मनाया जाता है।

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पारण में क्या खाया जाता है?

पारण के दिन परंपरागत भोजन तैयार किया जाता है। इसमें शामिल होते हैं

नोनी साग

तुरई

अरबी की सब्जी

देसी मटर

मडुआ या रागी की रोटी

चावल और कुछ जगहों पर झींगा मछली

सूर्य को जल अर्पित करके ही भोजन करना चाहिए। पारण से पहले पूजा कर संतान की मंगलकामना की जाती है।

पारण की विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

सूर्य देव को जल अर्पित करें और बच्चों की सलामती की प्रार्थना करें।

जीमूतवाहन देवता का ध्यान करें।

पारंपरिक भोजन ग्रहण करें।

पूजा समाप्त होने के बाद गरीबों को अन्न, कपड़े और दक्षिणा दान करें।

करधनी पहनाने की परंपरा

व्रत पूरा होने पर बच्चों को करधनी पहनाई जाती है। यह कमरबंद पूजा में चढ़ाया जाता है और पारण के दिन बच्चों को पहनाकर उनकी सुरक्षा और अच्छे जीवन की कामना की जाती है। इसे शुभ माना जाता है।

व्रत के नियम

व्रत के दिन जल तक नहीं पीना चाहिए।

कोई भी फल, मिठाई या भोजन का सेवन नहीं किया जाता।

पूजा और कथा सुनना जरूरी है।

संध्या के समय पूजा कर ही विश्राम करें।

पारण का समय शुभ मुहूर्त में ही रखना चाहिए।

जितिया व्रत माताओं के प्रेम और त्याग का प्रतीक है। इस दिन नियमों का पालन कर विधिपूर्वक पूजा और पारण करने से बच्चों को स्वास्थ्य, सुख और समृद्धि मिलती है। यह व्रत मातृत्व की भावना और परिवार के बीच प्रेम को बढ़ावा देता है। माताएं पूरे विश्वास और श्रद्धा से व्रत करती हैं ताकि संतान का जीवन खुशहाल रहे। यह परंपरा समाज में मातृत्व की शक्ति को और मजबूत बनाती है।

डिस्क्लेमर:यह जानकारी धार्मिक परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है। न्यूज1 इंडिया किसी भी जानकारी की वैज्ञानिक पुष्टि का दावा नहीं करता, पाठक अपनी समझ और विश्वास से पालन करें।

Tags: Child Blessing RitualJitiya Vrat 2025
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