Kalyan Singh Nagar: उत्तर प्रदेश में जिलों के पुनर्गठन को लेकर फिर से हलचल तेज हो गई है। इस बार चर्चा का केंद्र बना है अलीगढ़ और बुलंदशहर का इलाका, जहां से एक नए जिले “कल्याण सिंह नगर” के गठन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह प्रस्ताव भाजपा के वरिष्ठ और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके नेता स्वर्गीय कल्याण सिंह के सम्मान में रखा गया है।इस जिले के गठन की पहल उनके पुत्र और एटा के पूर्व सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया की सिफारिश पर शुरू हुई है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि उनके पिता की स्मृति को स्थायी स्वरूप देने के लिए एक नया जिला बनाया जाए।
राजू भैया की सिफारिश के बाद शुरू हुआ प्रस्ताव
राजू भैया द्वारा भेजे गए इस प्रस्ताव को सरकार ने गंभीरता से लिया है। जैसे ही पत्र शासन में पहुंचा, राजस्व परिषद आयुक्त राजकुमार द्विवेदी ने 17 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया और अलीगढ़ व बुलंदशहर के जिलाधिकारियों (DMs) को रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए।
इस पत्र में कहा गया कि दोनों जिले अपनी सीमाओं का पुनर्सीमन (re-demarcation) करें और देखें कि किन-किन क्षेत्रों को जोड़कर नया जिला बनाया जा सकता है। साथ ही इस जिले की जनसंख्या, भौगोलिक स्थिति, दूरी, प्रशासनिक सुविधाएं, सड़कों, पुलिस इकाइयों और जनसुविधाओं की दृष्टि से व्यावहारिकता का परीक्षण भी किया जाए।
रिपोर्ट तैयार होने के बाद इसे मंडलायुक्त के माध्यम से सरकार को भेजा जाएगा, जिसके आधार पर शासन स्तर पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।
कौन से क्षेत्र होंगे शामिल
जानकारी के अनुसार, इस प्रस्तावित जिले में अलीगढ़ जिले के अतरौली और गंगीरी क्षेत्र के साथ-साथ बुलंदशहर के डिबाई क्षेत्र को शामिल किया जा सकता है। यह विचार लंबे समय से चल रहा था, लेकिन अब सरकार ने इस पर औपचारिक रूप से कदम बढ़ाया है।
अतरौली तहसील को इस जिले का मुख्य केंद्र (हेडक्वार्टर) बनाया जा सकता है, क्योंकि यह अलीगढ़ और बुलंदशहर के बीच स्थित है। प्रशासनिक दृष्टि से यह जगह दोनों जिलों को जोड़ने का काम कर सकती है।
अतरौली: नए जिले का केंद्र बनने की संभावना
अतरौली केवल भौगोलिक दृष्टि से नहीं, बल्कि ऐतिहासिक और राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यह वही इलाका है, जिसने उत्तर प्रदेश को एक बड़े नेता कल्याण सिंह दिया। यही कारण है कि लोग चाहते हैं कि यह क्षेत्र उनके नाम पर बने जिले का केंद्र बने।
इसके अलावा, मढौली गांव, जो कल्याण सिंह की जन्मभूमि है, उसे इस नए जिले के मुख्यालय से जोड़े जाने की संभावना भी जताई जा रही है।स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यह प्रस्ताव साकार होता है, तो न केवल क्षेत्र का विकास तेज होगा बल्कि स्वर्गीय कल्याण सिंह के योगदान को स्थायी पहचान भी मिलेगी।
शासन ने शुरू की रिपोर्ट तैयार करने की प्रक्रिया
अलीगढ़ के जिलाधिकारी संजीव रंजन ने बताया कि शासन से मांगी गई जानकारी के अनुसार जिले का प्रारंभिक खाका तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम शासन को रिपोर्ट भेजने की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट में सभी जरूरी बिंदुओं जैसे जनसंख्या, दूरी, प्रशासनिक जरूरतें और बुनियादी ढांचे का उल्लेख किया जाएगा। इसके बाद शासन स्तर पर ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।”
सूत्रों की मानें तो शासन इस पूरे मामले को लेकर काफी गंभीर है और जल्द ही रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंचाई जाएगी। इसके बाद राजस्व विभाग और कैबिनेट स्तर पर चर्चा के बाद इस प्रस्ताव पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।
कल्याण सिंह की विरासत को स्थायी सम्मान
“कल्याण सिंह नगर” का नाम केवल प्रशासनिक प्रस्ताव नहीं बल्कि एक भावनात्मक और राजनीतिक सम्मान का प्रतीक भी है। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और उन्होंने राज्य की राजनीति में एक गहरी छाप छोड़ी।उनका योगदान खासकर राम मंदिर आंदोलन, कानून व्यवस्था सुधार और शिक्षा नीति में बदलाव के लिए हमेशा याद किया जाता है।
राजू भैया का कहना है कि “मेरे पिता ने अतरौली और आस-पास के क्षेत्रों के विकास के लिए जीवनभर काम किया। अगर उनके नाम पर जिला बनता है, तो यह न केवल हमारी भावनाओं का सम्मान होगा बल्कि उस भूमि का भी, जिसने उन्हें जननेता बनाया।”
क्षेत्र में उत्साह और उम्मीद
स्थानीय लोगों में इस प्रस्ताव को लेकर उत्साह देखा जा रहा है। अतरौली और आसपास के इलाकों में लोग चर्चा कर रहे हैं कि अगर नया जिला बनता है, तो विकास की गति तेज होगी, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और प्रशासनिक कामकाज लोगों तक आसानी से पहुंचेगा।व्यापारी और शिक्षाविद मानते हैं कि इससे क्षेत्र की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत होगी।
सरकार की प्राथमिकता में नया जिला
सूत्रों के मुताबिक, योगी सरकार प्रदेश में प्रशासनिक सुधार के तहत कई नए जिलों के गठन पर विचार कर रही है।
पहले भी महाराजगंज, शामली, बागपत, संभल, हापुड़, कासगंज, अमेठी जैसे जिले इसी प्रक्रिया से बने थे।अब “कल्याण सिंह नगर” भी उसी दिशा में एक और बड़ा कदम हो सकता है।



