कानपुर। पूर्व पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार का ऑपरेशन महाकाल बदस्तूर जारी है। अब महाकाल के जाल में डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला भी फंस गए और शासन ने उन्हें देररात सस्पेंड कर दिया। डीएसपी पर अखिलेश दुबे से सांठगांठ का आरोप है। इससे पहले अखिलेश के करीबी रहने के आरोप में इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी को निलंबित किया गया था। इसके साथ ही इंस्पेक्टर सभाजीत को पुलिस ने अरेस्ट कर जेल भेजा था। फिलहाल एसआईटी ने निलंबित डीएसपी को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए तलब किया है। एसआईटी 100 करोड़ रूपए को लेकर भी जांच शुरू कर दी है।
पहले जानें अखिलेश दुबे के बारे में
वकील अखिलेश दुबे अब केवल एक वकील के तौर पर नहीं, बल्कि अपराध और कानून के गठजोड़ की मिसाल के रूप में सामने आया है। खुद को सामाजिक न्याय का पैरोकार बताने वाला यह शख्स दरअसल शहर में रंगदारी, जालसाजी और फर्जी मुकदमों के साथ-साथ पुलिसिया कार्रवाई की पटकथा तक तय करता रहा। दीप सिनेमा के पास दो दशकों तक एक ऐसा ‘दरबार’ सजता रहा, जो दिखने में तो वकील का दफ्तर था, लेकिन असल में कानून से ऊपर बैठा एक समानांतर तंत्र था। अखिलेश के दरवार में पुलिस-प्रशासन के बड़े-बड़े अफसर हाजिरी लगाते थे। इसी गठजोड़ के बल पर अखिलेश दुबे कानपुर का दूसरा विकास बन गया।
ऋषिकांत शुक्ला पर गिरी गाज
अखिलेश दुबे के राजदार रहे डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला को 100 करोड़ से अधिक संपत्ति एकत्रित करने के मामले में निलंबित कर दिया गया है। उनके खिलाफ विजिलेंस की जांच भी शुरू हो गई है। उन पर कानपुर में तैनाती के दौरान लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाकर संपत्ति अर्जित करने के आरोप लगे थे। एसआईटी जांच में 12 स्थानों पर 92 करोड़ से अधिक की संपत्ति मिलने की पुष्टि हुई थी। साथ ही तीन अन्य संपत्तियां भी हैं। डीएसपी ऋषिकांत शुक्ला पर पुलिस कार्यालय में स्थित शिकायत प्रकोष्ठ में तैनाती के दौरान बीजेपी नेता रवि सतीजा को अखिलेश दुबे के कार्यालय तक पहुंचाने का आरोप लगा था।
इन अफसरों पर लटकी तलवार
ऋषिकांत शुक्ला के अलावा अखिलेश के करीबी रहे लखनऊ में तैनात डिप्टी एसपी विकास पांडेय, हरदोई में डिप्टी एसपी संतोष कुमार सिंह, केडीए वीसी के पीए रहे महेंद्र कुमार सोलंकी (वर्तमान बस्ती में तैनात) और कश्यप कांत दुबे पर कार्रवाई होनी बाकी है। सभी पर साकेतनगर के अखिलेश दुबे का दरबारी होने का आरोप है। अखिलेश के करीबी रहे सीओ और केडीए कर्मियों पर आरोप लगने के बाद एसआईटी ने दो बार सामने पेश होकर अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस भेजा था। लेकिन इनमें से कोई भी एसआईटी के सामने पेश नहीं हुआ। इन लोगों को डर था कि कहीं अखिलेश दुबे और इंस्पेक्टर सभाजीत की तरह उन्हें भी पूछताछ के बाद गिरफ्तार न कर लिया जाए।
करोड़ों की खड़ी कर ली कंपनी
इन पर आरोप थे कि यह सभी लोग सरकारी कर्मचारी होने के बाद भी अखिलेश दुबे के साथ मिलकर जमीनों का कारोबार कर रहे थे। इतना ही नहीं बाकायदा कंपनी बनाकर अपने परिजनों के नाम पर कारोबार कर रहे थे। एक कंपनी सामने आई है, इसमें सौ करोड़ से भी ज्यादा का टर्नओवर है। इसी आधार पर इन सभी को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया गया था। एसआईटी में शामिल सूत्रों की मानें तो सीओ संतोष सिंह, विकास पांडेय और ऋषिकांत ने अखिलेश दुबे के साथ मिलकर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी खड़ी की है। इस कंपनी में ऋषिकांत की पत्नी प्रभा शुक्ला, सीओ विकास पांडेय का भाई प्रदीप कुमार पांडेय, संतोष सिंह का रिश्तेदार अशोक कुमार सिंह व अखिलेश दुबे के परिजन शामिल हैं।
कानपुर पुलिस कमिश्नर ने भेजी थी रिपोर्ट
कानपुर पुलिस कमिश्नर ने 10 और 15 सितंबर को अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन को पत्र भेजकर जांच रिपोर्ट सौंपी थी। इसी पत्र के आधार पर 18 सितंबर को अपर पुलिस महानिदेशक, प्रशासन ने शासन में यह पत्र भेजा था। पुलिस कमिश्नर की ओर से भेजे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया था कि वर्तमान में मैनपुरी के भौगांव में तैनात ऋषिकांत करीब करीब 10 साल से अधिक कानपुर नगर में तैनात रहे हैं। वह यहां वर्ष 1998 से 2006 तक तथा दोबारा दिसंबर 2006 से वर्ष 2009 तक नियुक्त रहे हैं। कानपुर में अखिलेश दुबे गिरोह चलाकर फर्जी मुकदमे कराकर लोगों को फंसाने और वसूली और कब्जे का कार्य करता है। इस गठजोड़ में पुलिस, केडीए और अन्य विभागों के लोग शामिल हैं।
एसआईटी की जांच में सामने आया सच
ऋषिकांत भी अखिलेश दुबे के करीबी हैं। इस घनिष्ठता एवं अखिलेश के परिजनों की विभिन्न प्रापर्टी में इनकी भागीदारी है एसआईटी की जांच व सत्यापन में ऋषिकांत शुक्ला द्वारा स्वयं,अपने परिवारीजन, साथियों व साझेदारों के साथ करीब 100 करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित करने की पुष्टि हुई है। 12 स्थानों पर उपलब्ध संपत्ति करीब 92 करोड़ की है, जबकि तीन अन्य स्थानों पर उपलब्ध संपत्तियों के अभिलेख उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि गोपनीय सूचनानुसार वह भी शुक्ला के पैन से जुड़े हैं। जांच में आर्यनगर में 11 दुकानें होने की बात सामने आई है, जो इनके पड़ोसी साथी देवेंद्र दुबे के नाम पर हैं, हालांकि यह ऋषिकांत की बेनामी संपत्ति है।




 





