लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। UP mein Aaj ka Mausam kaisa Rahega पहाड़ों पर हुई बर्फबारी का असर मैदानी इलाकों में दिख रहा है। चल रहीं बर्फीली हवाओं के चलते यूपी के अधिकांश जिलो में अधिकतम व न्यूनतम तापमान में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई है। अभी भी कोहरा और धुंध की चादर से सूबा ढका हुआ है। जिसके कारण शाम होते ही ज्यादातर सड़कें सूनी हो जाती हैं।. मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में शीतलहर का प्रकोप और बढ़ेगा। बारिश भी होगी और सर्दी फरवरी तक ऐसे ही पड़ेगी। कोल्ड डे के चलते अस्पताल मरीजों से भर सकते हैं। फिलहाल ला-नीना के करण ठंड की थर्ड डिग्री से समूचा यूपी जकड़ा है। ला-नीना
को छोटी लड़की भी कहा जाता है।
6 जनवरी को हो सकती बारिश
प्रदेश के अध्धिकतर जिलों में भीष्ण ठंड पड़ रही है। सर्दी के थर्ड डिग्री टॉर्चर से इंसान से लेकर बेजुबान हलकान हैं। मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के कई जिलों में सोमवार को घना कोहरा छाया रहेगा। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से छह जनवरी को प्रदेश के पश्चिम भाग में कुछ जगह बूंदाबांदी और हल्की वर्षा हो सकती है। सात जनवरी की सुबह से तापमान में गिरावट से कोहरे में बढ़ोतरी की संभावना है। कोहरे और धुंध ने वाहनों के पहियों पर ब्रेक लगा दी है। ट्रेन की भी रफ्तार कम हो गई है। वायूसेवा भी कोहरे-धुंध के चलते प्रभावित हो रही हैं।
नीचे लुड़का कानपुर का पारा
अगर कानपुर की बात करें तो यहां रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से 5.2 डिग्री नीचे आ गिरा। इसके साथ ही जेट स्ट्रीम के साथ आ रही समुद्री नमी से धुंध और बादल बढ़ गए। सूरज सारा दिन बादलों की ओट में रहा। कोल्ड डे में शहरियों की कंपकंपी छूट गई। मौसम विभाग का कहना है कि पांच दिन इसी तरह कड़ाके की ठंड पड़ेगी। धुंध और कोहरा छाया रहेगा। इसके साथ ही मौसमी गतिविधि ला-नीना 50 से 70 फीसदी के बीच सक्रिय हो गया है। प्रशांत महासागर की सतह गंगा के मैदानी इलाकों को प्रभावित करेगी।
जेट स्ट्रीम भी सक्रिय
सीएसए के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि वातावरण में धुंध और बादलों की पर्त छाते की तरह बन गई है। इससे वातावरण में आ रहीं समुद्री नमी वाली हवाएं ऊपर नहीं उठ पा रही हैं। इसके साथ ही धूप नीचे नहीं आ पा रही है। इस समय ठंड का मुख्य कारण नमी है। 20 जनवरी तक ठंड का इसी तरह का माहौल बने रहने का अनुमान है। डॉ. पांडेय ने बताया कि अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बने चक्रवाती घेरे के कारण नमी लगातार आ रही है। इसके साथ ही जेट स्ट्रीम सक्रिय हैं। ये पश्चिमी विक्षोभ को ला रही हैं।
गंगा के मैदानी इलाकों में पहुंच रही ठंडक
वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ. एसएन सुनील पांडेय ने बताया, इसी वजह से समूचे उत्तर भारत में धुंध और कोहरे की चादर तनी हुई है। ला-नीना के सक्रिय होने से प्रशांत महासागर के सतह की ठंडक गंगा के मैदानी इलाकों में पहुंच रही है। इसके प्रभाव से मैदानी इलाकों में ठंडक के साथ बारिश भी होती है। ला-नीना के 50 से 70 फीसदी सक्रिय होने से फरवरी तक ठंड रहेगी। इसके अलावा 12-13 जनवरी को एक नया पश्चिमी विक्षोभ के आसार हैं। इससे स्थानीय स्तर पर कानपुर परिक्षेत्र समेत अन्य इलाकों में बूंदाबांदी के आसार हैं। फिलहाल अगले एक सप्ताह तक सर्दी ऐसे ही सताती रहेगी। बूंदाबांदी के बाद ठंड का असर कम होगा। धूप भी निकलेगी।
क्या है ला-नीना
दरअसल प्रशांत महासागर में होने वाले एक मौसमी पैटर्न को ला नीना कहा जाता है। इस दौरान भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। ला नीना के कमजोर पड़ने पर भीषण गर्मी पड़ती है। ला नीना स्पेनी भाषा का शब्द है। इसका मतलब होता है छोटी लड़की।’ ला नीना, अल नीनो के विपरित होता है। ला नीना के कमजोर होने से भारत में ज्यादा गर्मी पड़ेगी और बारिश कम होगी। भारत के दक्षिण-पश्चिम मानसून में आमतौर पर ला नीना के कारण ज्यादा बारिश होती है।
और बारिश में बदलाव
ला नीना के कारण अधिक ठंड पड़ती है और ज्यादा गर्मी की संभावनाएं कम होती हैं। ला नीना प्रशांत महासागर के मध्य और पूर्वी भूमध्य रेखीय क्षेत्र में समुद्र की सतह के तापमान के बड़े पैमाने पर ठंडे होने को दर्शाता है। इसके साथ ही हवा, दबाव और बारिश में बदलाव नजर आता है। बता दें, दिसंबर 2024 के पहले सप्ताह तक यूपी के अलावा देश के दूसरे अन्य राज्य गरम रहे। नवंबर का महिने ने 123 वर्ष का रिकार्ड तोड़ दिया। नवंबर में सबसे ज्यादा गर्मी पड़ी। इसके बाद अचानक ठंड ने दस्तक दी। कूलर-पंखे बैरक के अंदर चले गए। सदी के सितम ने सड़कें सूनी कर दी।