चंडीगढ़। मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय ने हरियाणा के पूर्व सीएम एवं कांग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा को ब्राह्मणों की राजनीति करने को लेकर घेरा है. उन्होंने कहा है कि भूपेंद्र हुड्डा को सत्ता में रहते हुए कभी ब्राह्मणों की याद नहीं आई, लेकिन जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने ब्राह्मणों को सम्मान दिया तो वो परेशान हो गए.
भाई-भतीजावाद की राजनीति करते हैं हुड्डा
आत्रेय ने हुड्डा को घेरते हुए आगे कहा कि तालकटोरा स्टेडियम में जाट पहले तथा मुख्यमंत्री बाद में ऐसा दम भरने वाले पूर्व मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को आज अचानक ब्राह्मणों की याद कैसे आई. दरअसल वे लोग ब्राहम्णों को प्रलोभन देकर भ्रमित करने का कार्य कर रहे है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा क्षेत्रवाद, भाई-भतीजावाद और जातिवाद की राजनीति करने के लिए कुख्यात रहे है.
सत्ता में रहने पर ब्राह्मणों की क्यों नहीं आई याद
पत्रकारों से बात करते हुए मीडिया सचिव प्रवीण आत्रेय ने आगे कहा कि पूर्व सीएम को सत्ता में रहते हुए कभी इस जाति की याद नहीं आई. हुड्डा ने इनका तिरस्कार किया और ब्राहम्णों की राजनीति खत्म करने का कार्य किया. उन्होंने कहा कि ” ब्रह्म जानाति, इति ब्रह्मण:’ भुपेंद्र सिंह हुड्डा ऐसे वर्ग को इतिहास भूलाकर प्रलोभन देने का प्रयास कर रहे हैं. आज ये लोग ब्राह्मण आयोग बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन जब 10 साल तक सत्ता में थे तब याद क्यों नहीं आई. ये सत्ता में आने पर ब्राह्मण डिप्टी सीएम बनाने की बात करते हैं, जबकि कांग्रेस के अन्य नेता पिछड़े वर्ग का उपमुख्यमंत्री बनाने की बात करते हैं. क्या पूर्व मुख्यमंत्री श्री हुड्डा ब्राहम्ण को याचक के तौर पर देखते है. ब्राह्मण याचक नहीं त्यागी है.मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के कार्यकाल में ब्राहम्ण वर्ग से चार लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य हैं और सरकार में ब्राह्मणों को उचित प्रतिनिधित्व दिया गया है.
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परशुराम के नाम डाक टिकट जारी करवाया
बता दें कि मीडिया सचिव ने आगे कहा कि ब्राहम्णों ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल के समक्ष जो मांगें रखी उन्हें दरियादिली से पूरा किया. मुख्यमंत्री ने भगवान परशुराम के नाम डाक टिकट जारी करवाया. पुजारी पुरोहित के लिए आयोग बनाने की कार्यवाही भी शुरु की. मीडिया सचिव ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ब्राह्मण वर्ग को सम्मान देते हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री केवल प्रलोभन देने की बात करते हैं. उन्होंने कहा कि श्री हुड्डा के कार्यकाल में ब्राहम्ण नेताओं को कांग्रेस छोड़कर जाना पड़ा और उन्होंने श्री अरविन्द शर्मा जैसे ब्राहम्णों की राजनीति खत्म की. सत्ता में रहते हुए श्री हुड्डा उन्हें लगातार दरकिनार करते रहे और ब्राहम्णों को राजनीति में कभी पनपने ही नहीं दिया.
याचक नहीं है ब्राह्मण जाति – प्रवीन आत्रेय
श्री आत्रेय ने आगे बताया कि ब्राह्मण कोई याचक नहीं है. शास्त्रों में कहा गया है कि “सब कुछ देवताओं के अधीन है, देवता मन्त्रों के अधीन है, मंत्र ब्रह्मण के अधीन है। पूर्व मुख्यमंत्री की राजनीति हमेशा से जातिवाद, क्षेत्रवाद और भाई भतीजा वाद की रही है. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने कैथल में मेडिकल कालेज का नामकरण भगवान परशुराम पर करने का काम किया। उन्होंने कहा कि सत्ता में रहते पूर्व मुख्यमंत्री श्री हुड्डा अपने कार्यकाल में पंचकूला में भगवान परशुराम के नाम पर चौक का नाम नहीं रख पाए, यह कार्य भी श्री मनोहर लाल ने ही किया. वर्तमान सरकार ने करनाल में भाई सतिदास व भाई मतिदास चौक का नामकरण किया. रोहतक के गांव पहरावर में न केवल जमीन देने का कार्य किया बल्कि उस जमीन की लीज का समय भी बढ़ाया और उसकी पैनाल्टी और ब्याज भी माफ किया.
सर्वप्रथम हरियाणा में 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण
मीडिया द्वारा किए गए सवाल के जवाब में आत्रेय ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने आर्थिक आधार पर आरक्षण 10 प्रतिशत करने का प्रावधान किया. मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने पहले किया और बाद में केन्द्र सरकार ने उसे लागू किया. आरक्षण की वजह से जो न्यायालय में गए आज वे श्री हुड्डा की गोद में बैठे हुए हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने ब्राहम्ण समाज को सम्मान दिया, इसलिए अब श्री हुड्डा अब परेशान हो रहे है. लोकतंत्र में जनता प्रतिनिधि चुनती है और मुख्यमंत्री बनाना पार्टी तय करती है. यह पार्टी ने जो सिस्टम बना रखा है वह उसी पर चलती है. पूर्व मंत्री श्री रामबिलास शर्मा ने अपनी ईच्छा जताई है तो उसमें कोई बुराई नहीं. आगे का कार्य पार्टी नेतृत्व को देखना है.
एसवाईएल के सवान पर प्रवीन आत्रेय ने ये कहा
जब मीडिया सचिव से एसवाईएल के बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि 2004 में एसवाईएल का यह मामला राष्ट्रपति के समक्ष गया. लगातार 10 साल तक चौ. भूपेन्द्र सिंह हुड्डा राज्य के मुख्यमंत्री रहे तब कुछ नहीं किया. वर्ष 2014 में श्री मनोहर लाल ने मुख्यमंत्री बनते ही अग्रिम सुनवाई के लिए केन्द्र सरकार से आग्रह किया. माननीय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी एसवाईएल पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयास की जीत है.