Justice Surya Kant Oath Ceremony: राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में आज एक गरिमापूर्ण और पारंपरिक समारोह में, न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI)3 के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा प्रशासित यह शपथ ग्रहण, देश के न्यायिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है, जो न्यायपालिका की अखंडता और कानून के शासन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जस्टिस कांत, जो फरवरी 2027 में अपनी सेवानिवृत्ति तक सर्वोच्च न्यायालय का नेतृत्व करेंगे, ने संविधान को बनाए रखने की शपथ ली। इस ऐतिहासिक अवसर पर उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई केंद्रीय मंत्री सहित कानूनी जगत की हस्तियां उपस्थित थीं। इस नियुक्ति से न्यायिक पहुंच और दक्षता के एक नए युग की शुरुआत होने की उम्मीद है।
Justice Surya Kant sworn in as Chief Justice of India.
🔹President Droupadi Murmu administers the oath of office to Justice Surya Kant as the 53rd Chief Justice of India at @rashtrapatibhvn. pic.twitter.com/GQbDUM0kMR
— All India Radio News (@airnewsalerts) November 24, 2025
न्यायिक सुधारों की ओर एक नया चरण
Justice Surya Kant ने शपथ ग्रहण के बाद अपने संक्षिप्त संबोधन में “समावेशी न्याय” और “लोकलुभावनवाद के दौर में न्यायिक संयम” पर ज़ोर देते हुए अपने दृष्टिकोण का संकेत दिया। उनके कार्यकाल में तत्काल प्राथमिकताओं में रियल-टाइम केस ट्रैकिंग के लिए राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) को तेज़ी से लागू करना और उच्च न्यायपालिका में लैंगिक असमानता को दूर करना शामिल है। महिला न्यायाधीशों का प्रतिशत वर्तमान में 13% से भी कम है, जिसे वह सुधारना चाहते हैं। इसके अलावा, उन्होंने पर्यावरण संबंधी मुकदमों पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा भी व्यक्त किया है, जो पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में उनके कार्यकाल की विरासत को आगे बढ़ाएगा।
कानूनी विशेषज्ञ इस नियुक्ति को एक स्थिरकारी शक्ति के रूप में देख रहे हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने कहा, “जस्टिस कांत उत्तरी भारत के व्यावहारिकता और संवैधानिक निष्ठा के मिश्रण को कोर्ट में लाते हैं। उनके कार्यकाल में हाशिए के समुदायों से जुड़े मामलों में पुनर्स्थापनात्मक न्याय पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है।”
बार से बेंच तक का शानदार सफ़र
9 फरवरी, 1962 को हरियाणा के कैथल में जन्मे Justice Surya Kant का सर्वोच्च न्यायिक पद तक का सफ़र उनकी बौद्धिक शक्ति और न्याय की निरंतर खोज का प्रमाण है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद, उन्होंने 1983 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया। दो दशकों में, उन्होंने नागरिक, संवैधानिक और सेवा कानून के मामलों में ख्याति प्राप्त की, 5,000 से अधिक मामलों में पेश हुए।
2005 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में उनकी न्यायिक यात्रा शुरू हुई, और 2007 में वह स्थायी न्यायाधीश बने। फरवरी 2019 में उनका सर्वोच्च न्यायालय में प्रोमोशन एक मील का पत्थर था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने पर्यावरणीय संरक्षण से लेकर चुनावी सुधारों और मानवाधिकारों तक के मुद्दों पर कई ऐतिहासिक फैसले दिए हैं।
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2022 के कौशल किशोर बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में, उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19(1)(a)) के दायरे का विस्तार करने में योगदान दिया।
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डिजिटल गोपनीयता पर उनकी प्रगतिशील सोच श्रेया सिंघल अनुवर्ती मामलों में उनके असहमति वाले फैसले में सामने आई, जिसमें उन्होंने राज्य की निगरानी के खिलाफ मज़बूत सुरक्षा उपायों की वकालत की।
यह शपथ ग्रहण समारोह एक संविधान के संरक्षक के रूप में न्यायपालिका की भूमिका की पुन: पुष्टि करता है। लगभग 15 महीने के कार्यकाल के साथ, जस्टिस सूर्यकांत के पास भारत के लोकतांत्रिक लोकाचार को आकार देने वाली इस संस्था में अपनी विरासत को स्थापित करने का अवसर है।5
