‘धरती कांपी, पानी गरजा, लोग चीखते हुए भागे’ – धराली त्रासदी की दर्दनाक दास्तान चश्मदीद की जुबानी

उत्तरकाशी के धराली गांव में बादल फटने से मची तबाही ने सब कुछ तबाह कर दिया। चश्मदीदों के मुताबिक, खौफ ऐसा था कि लोग सीटियां बजाकर एक-दूसरे को बचने की चेतावनी दे रहे थे।

Dharali

Dharali cloudburst: उत्तरकाशी जिले के Dharali गांव में मंगलवार को बादल फटने से मची तबाही ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया। खीर गंगा नदी का जलस्तर अचानक बढ़ा और जबरदस्त रफ्तार से गांव की ओर आया, जिससे बाजार, होटल और घर मलबे में तब्दील हो गए। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में लोग अपनी जान बचाते, दौड़ते और चीखते नजर आ रहे हैं। मुखबा गांव के निवासी 60 वर्षीय सुभाष चंद्र सेमवाल ने इस हादसे को अपनी आंखों से देखा और बताया कि जिंदगी में इतना भयानक मंजर कभी नहीं देखा। सेना, एनडीआरएफ, आईटीबीपी और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर रेस्क्यू में जुटी हैं, लेकिन लगातार बारिश राहत कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बनी हुई है।

सुभाष सेमवाल की आंखों देखी: ‘हम सीटियां बजा रहे थे ताकि लोग भाग सकें’

मुखबा गांव के रहने वाले सुभाष चंद्र सेमवाल ने बताया कि जब उन्होंने नदी के पानी की तेज आवाज सुनी, तो उन्हें अनहोनी का अंदेशा हो गया। जैसे ही उन्होंने घर से बाहर झांका, तेज बहाव के साथ पत्थर और पानी नीचे की ओर दौड़ रहे थे। उन्होंने बिना वक्त गंवाए गांव वालों को सतर्क करने के लिए सीटियां बजाईं और चिल्लाकर लोगों को धराली बाजार से भागने को कहा। कई लोग होटलों से बाहर निकले, लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, खीर गंगा का रौद्र रूप सबको अपनी चपेट में ले चुका था।

वीडियो में कैद खौफ: ‘सब खत्म हो गया’

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो भयावह मंजर को बयां कर रहे हैं। एक वीडियो में लोग रोते, भागते और फोन पर अपने परिजनों से संपर्क करने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं। एक व्यक्ति घबराकर कहता है, “सब खत्म हो गया…”। ये दृश्य 2013 की केदारनाथ त्रासदी की याद दिला रहे हैं। गंगोत्री यात्रा मार्ग पर स्थित धराली, एक प्रमुख स्टॉपओवर है, जहां कई होटल, रेस्तरां और होमस्टे मौजूद हैं। लेकिन अब ये सब मलबे में तब्दील हो चुके हैं।

सेना, NDRF, ITBP और SDRF का संयुक्त राहत अभियान जारी

सेना का हर्षिल कैंप धराली से महज चार किलोमीटर की दूरी पर है। सेना ने तुरंत मोर्चा संभालते हुए राहत कार्य शुरू किए। SDRF की 4 टीमें और ITBP की 3 टीमें रेस्क्यू में लगी हैं। 50 जवानों की विशेष टीम मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रही है। हालात इतने गंभीर हैं कि प्रशासन ने लोगों से नदी के पास न जाने की अपील की है। राज्य और केंद्र सरकारें लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

नेशनल हाईवे बंद, हेलीकॉप्टर सेवा ठप, सेना का कैंप भी चपेट में

लगातार हो रही भारी बारिश के कारण गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह मलबा और बोल्डर गिरे हैं। BRO युद्धस्तर पर हाईवे खोलने में जुटा है, लेकिन रास्ता पूरी तरह बंद है। भारी बारिश की वजह से हेलीकॉप्टर के जरिए राहत कार्य शुरू नहीं हो पाए हैं। खबर है कि सेना का कैंप भी बाढ़ की चपेट में आ गया है और कई जवान लापता बताए जा रहे हैं।

हेलिपैड जलमग्न, निचले इलाकों में खतरा, लोग इलाका छोड़ने लगे

Dharali की खीर गंगा से आई बाढ़ के कारण हर्षिल हेलीपैड भी जलमग्न हो गया है। उत्तरकाशी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। प्रशासन अलर्ट मोड पर है और प्रभावित लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील कर रहा है। तबाही के डर से कई परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं।

Dharali की त्रासदी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पहाड़ी क्षेत्रों में आपदाएं कितनी अचानक और भयानक हो सकती हैं। चश्मदीदों की जुबानी बयानी और वीडियो क्लिप्स इस विनाशकारी घटना की भयावहता को बयान कर रहे हैं। राहत कार्य जारी हैं, लेकिन हालात पर पूरी तरह काबू पाने में समय लगेगा।

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