जब 16 दिसंबर साल 2012 की रात दिल्ली में निर्भया के साथ गैंगरेप हुआ था, तब उसकी मां ने न्याय की लड़ाई तब तक जारी रखी जब तक उनकी बेटी को इंसाफ नहीं मिला। इसी तरह का एक मामला साल 2022 में चेन्नई से सामने आया था, जहां एक मां ने अपनी बेटी को बचाने के लिए ऐसा कदम उठाया जो किसी भी मां के लिए आसान नहीं होता।
इस केस के सामने आने के बाद हर कोई सहम गया था। मद्रास हाईकोर्ट में एक ऐसा मामला आया था, जिसने सभी को चौंका दिया था। साल 2022 में चेन्नई में एक शराबी पिता ने अपनी 21 साल की बेटी के साथ दुष्कर्म की कोशिश की थी। इस मामले में जब मां ने बेटी की चीख सुनी थी, तो वह भागकर कमरे में पहुंची थी और पति को रोकने की कोशिश करने लगी थी, लेकिन वह नहीं माना। मजबूरी में मां ने पहले लकड़ी के चाकू से उसकी पीठ पर वार किया था और जब इससे भी वह नहीं रुका, तो मां ने हथौड़े से उसके सिर पर इतनी जोर से मारा कि उसकी मौके पर ही मौत हो गई थी।
ये केस जब हाईकोर्ट पहुंचा था, तो वहां एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया गया था। जस्टिस जी. जयचंद्रन ने कहा कि मामले की जांच में साफ दिखता है कि यह कृत्य आत्मरक्षा में किया गया था और महिला ने अपनी बेटी को बचाने के लिए यह कदम उठाया। कोर्ट ने कहा कि मां ने अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए अपने पति की हत्या की। कोर्ट ने आगे कहा कि पिता नशे में था और उसने अपनी बेटी का रेप करने की कोशिश की। ऐसे में मां ने अपनी बेटी को बचाने के लिए उस पर वार किया, जिससे उसकी मौत हो गई।
कोर्ट ने बेटी के बयान और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि मां पर हत्या के लिए IPC की धारा 302 के तहत सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उन्होंने आत्मरक्षा के तहत धारा 97 के तहत यह कदम उठाया था। न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से धारा 97 के दायरे में आता है। इसलिए एग्मोर की महिला अदालत में लंबित हत्या के मामले को रद्द किया जाना चाहिए।
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कोर्ट ने यह भी कहा था कि भले ही अपराध स्वीकार किया गया हो, लेकिन याचिकाकर्ता को IPC की धारा 97 के तहत सजा नहीं दी जाएगी। आपको बता दें, कोर्ट के अनुसार, किसी भी व्यक्ति को खुद को या किसी अन्य व्यक्ति को ऐसे यौन अपराध से बचाने के लिए आत्मरक्षा का अधिकार है और अगर वह इस दौरान किसी अपराध को अंजाम देता है तो उसे सजा नहीं दी जाएगी।