‘कट्टरता से पंचर बनाते हो, पढ़ाई से मेयर!’ मौलाना मदनी को मुस्लिम IAS का ‘सुपरहिट’ पलटवार

IAS नियाज खान ने मौलाना अरशद मदनी के भारत में मुसलमानों की स्थिति पर दिए गए बयान को खारिज किया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि कट्टरता नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा ही मुसलमानों को वैश्विक स्तर पर सफलता दिला सकती है और समाज में एक मिसाल कायम कर सकती है। 

IAS Niyaz Khan

IAS Niyaz Khan Slam Maulana Arshad Madani: मध्यप्रदेश के चर्चित IAS अफसर नियाज खान ने जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। मदनी ने कहा था कि मुसलमान लंदन-न्यूयॉर्क में मेयर बन सकते हैं, पर भारत में कुलपति भी नहीं बन सकते। इस पर असहमति जताते हुए, खान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर एक पोस्ट के माध्यम से शिक्षा की ताकत पर ज़ोर दिया। उन्होंने लिखा कि “जिस मुस्लिम ने शिक्षा प्राप्त की वो लंदन, न्यूयॉर्क का मेयर बना, तो अमेरिका में गवर्नर और लेफ्टिनेंट गवर्नर बना। जिस मुस्लिम ने कट्टरता और अंधविश्वास की शिक्षा ली वो मैकेनिक, महिलाओं पर अन्याय करने वाला और पंक्चर बनाने वाला बना।”

खान के अनुसार, शिक्षा मुस्लिमों के लिए रामबाण औषधि है, जो आत्मनिर्भरता, सम्मान और देश की सेवा का रास्ता खोलती है। यह प्रतिक्रिया तब आई है, जब दिल्ली बम धमाके के बाद मदनी का बयान चर्चा में है, जिसने शिक्षित और कट्टरपंथी विचारों के बीच की खाई को उजागर कर दिया है। (108 शब्द)

IAS Niyaz Khan का ‘X’ पोस्ट और स्पष्टीकरण

अपने बेबाक बयानों के लिए मशहूर नियाज खान ने रविवार सुबह सोशल मीडिया पर पोस्ट करके मदनी के दृष्टिकोण से असहमति जताई। उन्होंने शिक्षा को प्रगति की कुंजी बताया और कहा कि शिक्षित मुस्लिम समाज में मिसाल बनते हैं, जबकि कट्टरता अपनाने वाले अपनी प्रगति के रास्ते स्वयं रोक लेते हैं।

आजतक से बात करते हुए नियाज खान ने अपने विचारों को और स्पष्ट किया:

  • शिक्षा का महत्व: उन्होंने कहा, “शिक्षा मुसलमानों के लिए रामबाण इसलिए है क्योंकि यह आत्मनिर्भरता, सम्मान और देश की सेवा का रास्ता खोलती है।”

  • कट्टरता का प्रभाव: उनके मुताबिक, “जो लोग कट्टर विचारों में उलझ जाते हैं, वे केवल खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं।”

IAS Niyaz Khan ने मदनी के इस बयान, कि ‘भारत में मुसलमान एक यूनिवर्सिटी का वाइस-चांसलर भी नहीं बन सकता’, को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने तर्क दिया कि पढ़ा-लिखा मुसलमान अपनी पहचान खुद बनाता है और भारत में ऐसा कोई अवरोध नहीं है जिसे शिक्षा और मेहनत से पार न किया जा सके।

भारत में सफलता के उदाहरण

IAS Niyaz Khan ने भारत में मुस्लिम समुदाय की सफल हस्तियों का उदाहरण भी दिया, जो यह साबित करते हैं कि ज्ञान ही असली ताकत है, न कि कट्टरता:

  • एपीजे अब्दुल कलाम: देश के जाने-माने वैज्ञानिक से लेकर राष्ट्रपति बने।

  • मोहम्मद अजहरुद्दीन: लंबे समय तक भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की।

इन उदाहरणों के माध्यम से, IAS खान ने जोर दिया कि कट्टरता नहीं, ज्ञान ही असली ताकत है और मुसलमानों को अपनी प्रगति के लिए शिक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए।

मौलाना मदनी का मूल बयान

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने हाल ही में कहा था: “दुनिया सोचती है कि मुसलमान अब बिल्कुल लाचार, खत्म और कमजोर हो गए हैं लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता। आज न्यूयॉर्क में कोई मुस्लिम मेयर बन सकता है, लंदन में कोई मेयर बन सकता है, लेकिन भारत में तो मुसलमान एक यूनिवर्सिटी का वाइस-चांसलर भी नहीं बन सकता… सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि मुसलमान कभी भी सिर उठाकर खड़े न हो सकें।”

नियाज खान की यह प्रतिक्रिया मौलाना मदनी के इस विवादास्पद बयान के ठीक बाद आई है, जिससे भारतीय मुस्लिम समाज के भीतर शिक्षा, अवसर और कट्टरता जैसे मुद्दों पर एक नई बहस छिड़ गई है।

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