Google पर लगा AI ट्रेनिंग के लिए Gmail पढ़ने का आरोप; कंपनी ने आरोपों को बताया ‘भ्रामक’

Google पर Gmail यूज़र्स के ईमेल को पढ़कर अपने Gemini AI मॉडल को ट्रेन करने के गंभीर आरोप लगे हैं, जिससे यूज़र्स की प्राइवेसी को लेकर चिंता बढ़ गई है। कंपनी ने इन दावों को भ्रामक बताते हुए स्पष्ट किया है कि वे Gemini ट्रेनिंग के लिए Gmail कंटेंट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। हालांकि, यूज़र्स अभी भी चिंतित हैं।

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Google News: सोशल मीडिया और सिक्योरिटी ब्लॉग्स पर यह दावा तेज़ी से फैल रहा है कि Google चुपके से यूज़र्स के Gmail संदेशों को पढ़ रहा है और इस निजी डेटा का इस्तेमाल अपने अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल, Gemini को प्रशिक्षित करने के लिए कर रहा है। इन आरोपों ने लाखों यूज़र्स के बीच गोपनीयता और डेटा सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। कई लोगों ने “स्मार्ट फीचर्स” को डिफॉल्ट रूप से चालू पाए जाने पर नाराजगी व्यक्त की है। यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब एक जांच में दावा किया गया कि गूगल, यूज़र्स की अनुमति के बिना, उनके निजी ईमेल और अटैचमेंट का विश्लेषण कर रहा है ताकि स्मार्ट कंपोज और स्मार्ट रिप्लाई जैसे AI टूल को बेहतर बनाया जा सके।

कंपनी का स्पष्टीकरण और बचाव

इन आरोपों के जवाब में, Google ने इन्हें ‘भ्रामक’ बताते हुए जोरदार खंडन किया है। कंपनी के प्रवक्ता जेनी थॉमसन ने स्पष्ट किया है कि Google ने अपनी डेटा उपयोग पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया है। उन्होंने सीधे तौर पर कहा, “हम Gmail कंटेंट का इस्तेमाल अपना Gemini AI मॉडल को ट्रेन करने में नहीं कर रहे हैं।” कंपनी का कहना है कि Gmail में मौजूद स्मार्ट फीचर्स (जैसे स्पेलिंग चेक, प्रीडेक्टिव टेक्स्ट, ऑटोमेटिक पैकेज ट्रैकिंग, और कैलेंडर इंटीग्रेशन) सालों से मौजूद हैं और ये सुविधाएँ वर्कस्पेस में व्यक्तिगत अनुभव प्रदान करने के लिए यूज़र्स के मेल कंटेंट का विश्लेषण करती हैं। गूगल के अनुसार, यह पर्सनलाइज़ेशन Gemini के ट्रेनिंग डेटा से अलग है।

प्राइवेसी की चिंता और कानूनी कार्रवाई

हालांकि, Google के स्पष्टीकरण के बावजूद, यूज़र्स की चिंताएँ कम नहीं हुई हैं। सोशल मीडिया पर यूज़र्स इस बात से चिंतित हैं कि ये स्मार्ट फीचर्स डिफ़ॉल्ट रूप से ऑन हैं। इस जानकारी के सामने आने के बाद, 11 नवंबर को कंपनी के खिलाफ लॉसूट भी फाइल किया गया है। कुछ यूज़र्स ने यह आरोप भी लगाया है कि उनके द्वारा बंद किए गए स्मार्ट फीचर्स रहस्यमय तरीके से वापस ऑन हो गए थे, जिससे प्राइवेसी को लेकर संदेह और गहरा गया है। इस विवाद ने एक बार फिर से टेक कंपनियों द्वारा यूज़र्स के निजी डेटा के इस्तेमाल की सीमा और नैतिकता पर बहस छेड़ दी है।

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