हरविंदर ने पेरिस में स्वर्ण से चमकाया भारत का नाम… बाएं पैर की समस्या को हराकर रचा इतिहास

हरविंदर की संघर्षपूर्ण यात्रा ने पेरिस में दिलाया स्वर्ण पदक 18 महीने की उम्र में पैर में आई समस्या, तीन दशक बाद पेरिस पैरा ओलंपिक्स में रचा इतिहास

Harvinder Singh

Harvinder Singh: हरविंदर सिंह, एक ऐसे खिलाड़ी जिनका जीवन बचपन में डॉक्टर की एक गलती से बदल गया था, ने पेरिस पैरा ओलंपिक्स 2024 में अपने साहस और धैर्य से इतिहास रच दिया। हरियाणा के कैथल जिले के छोटे से गांव अजितगढ़ के निवासी हरविंदर ने पुरुषों के रिकर्व ओपन इवेंट में स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।

गलत इंजेक्शन से शुरू हुआ संघर्ष

1992 में, Harvinder Singh के पिता परमजीत सिंह अपने 18 महीने के बेटे को इलाज के लिए डॉक्टर के पास ले गए थे। एक गलत इंजेक्शन के कारण हरविंदर के बाएं पैर में समस्या हो गई, जिसने उसकी शारीरिक क्षमता को प्रभावित किया। लेकिन इस कठिनाई ने हरविंदर को कभी भी उनके सपनों से दूर नहीं किया। “डॉक्टर की गलती ने हमारे जीवन में एक नया संघर्ष खड़ा कर दिया, पर आज उसका स्वर्ण पदक उन कड़वी यादों को पीछे छोड़ गया है,” कहते हैं परमजीत सिंह।

शिक्षा से शुरू हुआ सफर, आर्चरी में मिली नई राह

बचपन से ही Harvinder Singh ने पढ़ाई पर अधिक ध्यान दिया और हाल ही में श्रम सुधारों पर अपनी डॉक्टरेट पूरी की। हालांकि, 2012 के लंदन ओलंपिक्स के दौरान आर्चरी में उसकी रुचि जागी। इसके बाद उसने पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला में दाखिला लिया और कोच जीवानजोत सिंह तेजा और गौरव शर्मा के तहत प्रशिक्षण शुरू किया। हरविंदर ने अपने करियर की शुरुआत कंपाउंड इवेंट्स से की, लेकिन 2015 में वह रिकर्व इवेंट्स में शिफ्ट हो गए। कोच तेजा बताते हैं, “वह कंपाउंड में भी अच्छा था, पर रिकर्व में उसे अपने संतुलन और मुद्रा पर ज्यादा ध्यान देना पड़ा। पैर की समस्या के कारण उसे अपने दाहिने पैर पर अधिक भार डालना पड़ा।”

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमके हरविंदर

Harvinder Singh  की कड़ी मेहनत का फल 2016 और 2017 में उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पदकों के रूप में मिला। 2018 में जकार्ता पैरा एशियन गेम्स में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता और 2021 के टोक्यो पैरा ओलंपिक्स में कांस्य पदक पर कब्जा किया। महामारी के दौरान, जब सारी खेल सुविधाएं बंद थीं, हरविंदर ने अपने परिवार के खेत पर अभ्यास किया। “मेरे पिता ने खेत में आर्चरी फील्ड बनाया, और वहीं पर मैंने प्रशिक्षण लिया,” हरविंदर ने बताया।

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पेरिस पैरा ओलंपिक्स में ऐतिहासिक जीत

पेरिस में Harvinder Singh का प्रदर्शन शानदार रहा। उन्होंने चीनी ताइपे, इंडोनेशिया, कोलंबिया, और ईरान के प्रतिस्पर्धियों को हराकर फाइनल तक का सफर तय किया। फाइनल में उन्होंने पोलैंड के लुकास्ज़ चिस्ज़ेक को 6-0 से हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया। कोच तेजा ने कहा, “हरविंदर ने पदकधारी होने के दबाव को महसूस नहीं किया और इस बार उसने स्वर्ण जीतने का पक्का इरादा किया था।”

परिवार के साथ जश्न की तैयारी

हरविंदर का परिवार—माता-पिता, भाई-बहन, पत्नी और बेटा—अब उसके लौटने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। “वह जब प्रशिक्षण नहीं कर रहा होता, तो उसे लाइब्रेरी में पढ़ाई करना पसंद है। लेकिन इस बार हम उसे जश्न का पूरा आनंद लेने देंगे,” परमजीत सिंह ने मुस्कुराते हुए कहा।

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