Haryana: पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘बीजेपी सरकार में हरियाणा आज कृषि और उद्योग दोनों में देश के शीर्ष राज्यों में अपनी जगह बना रहा है। जब औद्योगीकरण बढ़ता है, तो सबसे ज्यादा फायदा गरीबों, किसानों और दलितों को होता है। पिछले 10 सालों में पूरी दुनिया में भारत के (Haryana) प्रति भरोसा बढ़ा है, भरोसा है कि अब भारत भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से मुक्त होकर आगे बढ़ रहा है। दुनिया को लग रहा है कि आने वाले समय में अगर कोई देश सबसे तेजी से आगे बढ़ेगा, तो वो भारत है।’
‘बाबा साहब हमसे तकनीकी कौशल सीखने को कहते थे’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘बाबा साहब अंबेडकर का मानना था कि दलितों के सशक्तीकरण में उद्योगों की बड़ी भूमिका होती है। उन्होंने देखा कि गरीबों, दलितों और वंचितों के पास पर्याप्त जमीन नहीं थी। बहुत से गरीब लोग भूमिहीन थे और मजदूरी (Haryana) करके अपना गुजारा करते थे। इसीलिए बाबा साहब कहते थे कि जब कारखाने लगते हैं तो गरीबों, दलितों और वंचितों को अवसर मिलते हैं। वे उनसे तकनीकी कौशल सीखने के लिए कहते थे। बाबा साहब की यह सोच आपको भाजपा के नीतिगत निर्णयों में, भाजपा के विचारों में दिखाई देगी। दलित और वंचित समाज को उद्योगों में अवसर देकर ही सच्चा सशक्तिकरण संभव है।’
कांग्रेस के शाही परिवार से जो भी प्रधानमंत्री बना, उसने हमेशा आरक्षण का विरोध किया है। आरक्षण का विरोध, आरक्षण से नफरत, कांग्रेस के DNA में है।
– पीएम @narendramodi pic.twitter.com/xj7Iz7Ndyn
— BJP (@BJP4India) September 25, 2024
भाजपा गरीबों का उत्थान कर रही है: पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा, ‘आज हमारे मार्गदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती है। पंडित दीनदयाल (Haryana) उपाध्याय जी ने अंत्योदय और गरीबों की सेवा का जो मार्ग दिखाया है, वह प्रत्येक भाजपा कार्यकर्ता के लिए संकल्प पथ की तरह है। भाजपा उनकी प्रेरणा से गरीबों का उत्थान करते हुए देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है। मैं पूज्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।’
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खेतों का आकार लगातार घट रहा है: प्रधानमंत्री
गोहाना में खेती पर चिंता जताते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘आज भारत में एक और चुनौती है, जिस पर सिर्फ बीजेपी ही बात करती है। हमारे देश में खेतों का आकार भी लगातार घट रहा है। परिवार बढ़ने के साथ ही जमीन के टुकड़े होते जा रहे हैं। आबादी बढ़ रही है, लेकिन खेत छोटे होते जा रहे हैं। खेती से जुड़े अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि खेती के साथ-साथ कमाई के दूसरे साधन भी होने चाहिए।’