कैसे साइकिल बनी समाजवाद की पहचान…कहानी जानकर होंगे हैरान

मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है। नेताजी, जिन्होंने सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधायक बनने का गौरव प्राप्त किया, ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। इस पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल के बनने की कहानी बेहद रोचक है।

Mulayam Singh Yadav

Mulayam Singh Yadav Death Anniversary : ​देश के प्रमुख नेता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की आज दूसरी पुण्यतिथि है।​ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर देश के अन्य बड़े राजनीतिक नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

नेताजी, जिन्होंने सोशलिस्ट पार्टी से पहली बार विधायक बनकर राजनीति में कदम रखा, ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की, और इस पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल बनने की कहानी बहुत दिलचस्प है।

ऐसे बनी साइकिल, पार्टी का चुनावी चिन्ह ?

समाजवादी पार्टी के गठन के बाद, चुनाव आयोग ने मुलायम सिंह यादव को पार्टी कार्यालय में बुलाकर चुनाव चिन्ह चयन के लिए आमंत्रित किया। आयोग द्वारा प्रस्तुत सूची में साइकिल का भी उल्लेख था, जिसे देखकर नेताजी का चेहरा खुश हो गया। उन्होंने जल्दी ही इस चिन्ह पर अपनी उंगली रख दी। इसी के साथ सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल बनाया गया। ​मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट किया कि पार्टी का झंडा और चिन्ह दोनों को कभी नहीं बदला जाएगा।​ साइकिल को पसंद करने के पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मुलायम सिंह यादव अपने मित्र के साथ उजयानी गांव में थे, जब दोपहर का समय था और गांव के कुछ लोग ताश खेल रहे थे। इसी दौरान, ताश खेल रहे आलू व्यापारी लाला रामप्रकाश गुप्ता ने एक शर्त रख दी कि जो जीतेगा उसे ‘रॉबिनहुड’ साइकिल दी जाएगी। उस समय, साइकिल मुलायम के लिए एक सपना था। ​उन्होंने खेल में बाजी मारी और उन्‍हें साइकिल मिल गई।

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नेताजी का राजनीतिक सफर

​नेताजी का राजनीतिक करियर अत्यंत उत्कृष्ट रहा है।​ उन्होंने केवल 28 वर्ष की उम्र में 1967 के विधानसभा चुनाव में जसवंतनगर की सीट से पहली बार विधायक के रूप में जीत हासिल की। इसके बाद, वह 1977 में जनता पार्टी की सरकार में पहली बार मंत्री बने। मुलायम सिंह ने 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की। इसके अतिरिक्त, वह उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और तीसरे मोर्चे की सरकार में रक्षामंत्री भी रहे।

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