नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी के रामलीला मैदान में सरकारी कर्मचारियों के पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर भारी भीड़ जुटी. इस मांग को लेकर रामलीला मैदान में 20 से अधिक राज्यों के सरकारी कर्मचारी एकत्रित हुए थे. काफी समय से देश में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की बात हो रही है. आइए जानते हैं कि सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन स्कीम की मांग क्यों कर रहे हैं और ये अभी देश की किन-किन राज्यों में लागू हैं.
पुरानी पेंशन स्कीम के समर्थन में कांग्रेस
बता दें कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ops नीति के समर्थन में है. देश के कई राज्यों में जो कांग्रेस शासित है, वहां पर पुरानी पेंशन नीति लागू है. इसमें भूपेश बघेल की छत्तीसगढ़ सरकार, सुखविंदर सिंह सुक्खू की हिमाचल सरकार और अशोक गहलोत की राजस्थान सरकार का नाम सबसे ऊपर है. इसके अलावा विपक्षी महागठबंधन I.N.D.I.A. में शामिल झारखंड के हेमंत सोरेन सरकार में भी ओपीएस लागू है.
अब तक 5 गैर बीजेपी राज्यों में लागू OPS
कांग्रेस के अलावा पंजाब की आप सरकार में ops स्कीम को लागू किया गया है. ऐसे में अभी देश के कुल 5 राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम लागू है. पूरे देश में इसको लागू कराने का समर्थन करते हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारी दिल्ली के रामलीला मैदान में जुटे हैं. इस रैली को नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम नाम दिया गया. आगामी 2024 आम चुनाव से ठीक पहले ओल्ड पेंशन स्कीम एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है.
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पुरानी पेंशन स्कीम में मिलता है ये लाभ
गौरतलब है कि ops स्कीम के तहत रिटायर हुए कर्मचारियों को आधी सैलरी पेंशन के रूप में दी जाती है. इसके लिए वेतन से कोई पैसा भी नहीं काटा जाता है. इसका भुगतान राजकोष से होता है और 20 लाख तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है. अगर रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होती तो उसकी पेंशन राशी परिजनों को दी जाती है. इसके साथ ही इसमें 6 महीने बाद के होने वाले मंहगाई भत्ते का भी प्रावधान है.