LPG pipeline compensation scam: कांडला-गोरखपुर एलपीजी पाइपलाइन प्रॉजेक्ट (KGLPL) के तहत भूमि अधिग्रहण मुआवजे में ₹6.50 करोड़ के बड़े घोटाले का मामला सामने आया है। इस संबंध में इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) की शिकायत पर सीबीआई ने ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
घोटाले की जड़ें सीधे पेट्रोलियम मंत्रालय और ऑइल कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों तक फैली हुई हैं। प्राथमिक जांच में सामने आया है कि इस जॉइंट प्रॉजेक्ट में जमीन के मुआवजे की रकम को अवैध तरीके से हड़पा गया है। सीबीआई ने मंगलवार को इस मामले में लखनऊ, नोएडा और प्रयागराज के पांच ठिकानों पर छापेमारी की और महत्वपूर्ण दस्तावेजी साक्ष्य जब्त किए हैं।
11 जिलों में हेराफेरी, प्रयागराज और भदोही केंद्र में
यह LPG pipeline घोटाला 11 जिलों में फैला हुआ है, लेकिन सबसे बड़ी धांधली प्रयागराज और भदोही जिलों में हुई है। अकेले इन दोनों जिलों से ₹6.12 करोड़ का मुआवजा हड़पा गया है—जिसमें प्रयागराज में ₹4.77 करोड़ और भदोही में ₹1.34 करोड़ की हेराफेरी शामिल है।
इसके अतिरिक्त, मऊ, वाराणसी, प्रतापगढ़, आजमगढ़, उन्नाव, कानपुर देहात, कानपुर नगर, ललितपुर और रायबरेली सहित नौ अन्य जिलों में भी ऑइल कंपनियों के अधिकारियों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने मुआवजे के पैसे में अनियमितता की।
सीबीआई ने इन अधिकारियों को किया नामजद
आईओसीएल LPG pipeline के चीफ विजिलेंस ऑफिसर की शिकायत के आधार पर, सीबीआई की लखनऊ एंटी करप्शन ब्रांच ने एफआईआर दर्ज की है। इसमें पेट्रोलियम मंत्रालय के जीएम फैसल हसन, आईओसीएल के सीनियर मैनेजर गौरव सिंह, मैनेजर सुनील कुमार अहिरवार, और इंजीनियर विनीत कुमार सिंह तथा सूर्य प्रताप सिंह जैसे वरिष्ठ अधिकारियों को नामजद किया गया है। इनके अलावा, ठेकेदारों में अभिषेक पांडेय, विशाल द्विवेदी और आशीष कुमार सिंह भी शामिल हैं। मंगलवार की छापेमारी इसी एफआईआर में नामजद आरोपितों के ठिकानों पर की गई थी। सीबीआई अब इस बड़े वित्तीय हेरफेर के पीछे के विस्तृत नेटवर्क की जांच कर रही है।