Kerala To Bengal: ये नेकी की मिसाल बहुत भावुक कर देगी, जब एक ड्राइवर ने 2800 किलोमीटर तक एक एंबुलेंस दौड़ाई।

Kerla driver news: सौतिश की माली स्थिति खराब थी। केरल से बंगाल का हवाई सफर उनकी क्षमता से बाहर था, इसलिए मां को इतनी दूर ट्रेन से ले जाने में भी खतरा था। ऐसे में उनके पास एंबुलेंस से जाना ही था। एंबुलेंस ड्राइवर ने पूरी लगन और निष्ठा से काम किया।

Kerala driver news: मदद करने से पुण्य मिलता है, कहते हैं। मदद करना अच्छी आदत होती है। केरल के एंबुलेंस ड्राइवर अरुण ने इसकी ताजा उदाहरण दी। अरुण ने 70 साल की बुजुर्ग और बीमार महिला की आखिरी इच्छा को भी पूरा करने के लिए असंभव बना दिया। कोल्लम के करुनागप्पल्ली निवासी 28 साल के एम्बुलेंस ड्राइवर ने अपनी पेशेगत प्रतिबद्धता का एक और बड़ा उदाहरण दिया है। अरुण ने कई चुनौतियों का सामना करते हुए सिर्फ ढाई दिन में २८७० किमी की दूरी तय की। जिससे मरीज को रायगंज भेजना आसान हुआ।

नामुमकिन को व्यवहार्य बनाया

ये सौतिश और उसकी मां बोधिनी की कहानी है, जो केरल में रहते थे। सोयिश मयनागाप्पल्ली की एक ईंट मिल में काम करता था। उसका परिवार आराम से जी रहा था। 15 साल पहले बोधिनी केरल आईं और यहाँ की हरियाली इतनी पसंद आई कि वे वहाँ बसने का विचार बना लिया। लेकिन बोधिनी को 2024 की शुरुआत में स्ट्रोक हुआ और वह बिस्तर पर गिर पड़ी। मरने से पहले वह अपने घर, पश्चिम बंगाल के रायगंज, में अपने निकटतम रिश्तेदारों से मिलना चाहती थीं।

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ईश्वर की कृपा से अरुण ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी।

“इंडियन एक्सप्रेस” ने कहा कि सौतिश की माली हालत खराब थी। उन्हें हवाई सफर का विचार नहीं था। वहीं ट्रेन से इतनी दूर की दूरी पर भी जोखिम था। इसलिए एम्बुलेंस ही एकमात्र विकल्प था। लेकिन कोई ड्राइवर भी 2800 किलोमीटर दूर ले जाने को तैयार नहीं था। सौतिश ने अचानक एमिरेट्स एम्बुलेंस सर्विस देखा। जब उन्होंने कंपनी के मालिक किरण जी दिलीप से संपर्क किया, तो उनके चेहरे पर आशा का भाव दिखाई दिया। उसकी आर्थिक स्थिति और आवश्यकताओं को देखते हुए उन्होंने एंबुंलेंस को बंगाल भेजा।

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सौतिश ने पहले इस यात्रा के लिए एक लाख बीस हजार रुपये मांगे, लेकिन उनके पास सिर्फ चालिस हजार रुपये बचे थे। ऐसे में कंपनी के मालिक ने कुछ समझौता किया और आखिरकार सौदा ९० हजार रुपये में हुआ। सौतिश ने 40,000 रुपये खर्च किए और बाकी बंगाल पहुंचने पर सौंपने का वादा किया।

मदद का ऐसा उदाहरण पाना मुश्किल है

अरुण, एंबुलेंस ड्राइवर, जिसने इस चुनौती को स्वीकार किया, अब काम करने लगा। अरुण ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैंने पंप पर ईंधन भरने, मरीज को दवा और भोजन देने के अलावा कहीं भी गाड़ी नहीं रोकी।” तत्काल आवश्यक कार्य किया गया। मैं पश्चिम बंगाल पहले भी जा चुका था। इसलिए वह रास्ता जानता था। मरीज को सुरक्षित वहां पहुंचाना मेरी जिम्मेदारी थी। मेरी एंबुलेंस मेरे मानकों के अनुरूप थी। तभी मैं आसानी से 2800 किमी की दूरी तय कर सका।’

एंबुलेंस ड्राइवर की इस नेकी की कहानी अब सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही है।

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