Lok Sabha 2024 : लोकसभा में क्या है Mayawati का कद ? जानिए दलितों के बड़े राजनेता की राजनीतिक किस्से

जानिए दलितों के बड़े राजनेता Mayawati की राजनीतिक किस्से

नई दिल्ली। (Mayawati in politics)  भारत की राजनीति एक ऐसी गूढ़ रहस्य है, जहां कब किसकी जीत होगी और कौन होगा जो जीत कर भी सत्ता से वंचित रह जाएगा इसको लेकर किसी पर प्रकार की सटीक भविष्यवाणी करना राजनीति की समझदारों के लिए पहेलियां बुझने जैसा हैं।

4 बार बनी मुख्यमंत्री 

देश के आजादी बाद के भारत ने लोकतांत्रिक शासन पद्धति को चुना और फिर आजादी के सिर्फ 75 सालों में एक से बढ़कर एक ऐसे राजनीतिक घटना का साक्षी बनता रहा जिससे यह लोकतंत्र का पर्याय बनता रहा। इन्ही घटनाओं में हैं राजनीति की दृष्टिकोण से देश के सबसे बड़े राज्य की एक दलित महिला का मुख्यमंत्री बन जाना। वो भी एक दो बार नहीं बल्कि 4-4 बार।

दलितों का प्रतिनिधित्व कर रही Mayawati

आए जानते हैं एक दलित लड़की के मुख्यमंत्री बनने की वो राजनीतिक किस्से जिसे खुद उस दलित महिला ने बुना। वो भी ऐसे वक्त में जब किस्से सिर्फ और सिर्फ बड़े और नाम चीन किरदारों के केंद्र में गढ़े जाते थे। जातिगत समीकरण को साधने की पूरी कोशिश तो की जाति थी,मगर इसका ध्यान खूब रखा जाता था की पिछड़ी और दलित जाति की राजनीतिक भागीदारी कम रहें। इस बात का भी खूब ध्यान रखा जाता रहा कि इन जातियों और समुदाय के लोगों की राजनीतिक दूरियाँ जितनी ज्यादा किया जा सके उतना बेहतर रहेगा।

दलितों की राजनीति में बड़ा चेहरा है Mayawati

ऐसे परिस्थिति में भी एक एक दलित जाति का राजनेता और वो भी एक महिला का राजनीति में पदार्पण दिन में सपने देखने जैसा था। लेकिन इस सपने को उसने ना सिर्फ पूरा किया, बल्कि उसने इसे जिया भी। और दलितों की नुमाइंदगी का दावा करने वाले राजनीतिक दुकानदारों की दुकाने बंद करवा दी। हम बात कर रहें हैं, देश के उत्तर प्रदेश की 4 बार की मुख्यमंत्री और दलितों का सबसे बड़ा चेहरा, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष बहन मायावती की। जिन्होंने देश की राजनीति में लंबे समय से दलितों की प्रतिनिधित्व कर रही हैं।

Mayawati की शिक्षा

Mayawati in politics :  राजनीति करियर 

उपलब्धियां और पुरस्कार

सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री

बसपा प्रमुख Mayawati के नाम उत्तरप्रदेश में सबसे अधिक 4 बार मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड है।

लोकसभा में पार्टी का प्रदर्शन 

लोकसभा 2024 में पार्टी सभी सीटों पर अकले चुनाव लड़ रही हैं। पिछले लोकसभा में बीएसपी ने यूपी  के 10 सीटों पर सफलता मिली थी। लोकसभा में बीएसपी का प्रदर्शन

2024 में बीएसपी मुकाबले में कहाँ ? 

लोकसभा चुनाव के चुनाव परिणामों में भले ही बसपा एक छोटी और कमजोर पार्टी नजर आती हैं लेकिन इस पार्टी का संघर्ष बहुत पुराना है। हार हार कर जीतने की कला इस पार्टी को अच्छे से आती है यही वजह है कि आज भी इसकी पूछ बड़ी पार्टीयों की रहती हैं। चुनाव में दलित वोटों को साधने के लिए पार्टी की जरूरत हर किसी पड़ती हैं। लेकिन इस चुनाव में पार्टी ऐकला चलो के सिद्धांत पर चुनाव लड़ रही हैं। जहां पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े किये हैं वहाँ मुकाबला त्रिकोणिय हैं।

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