नई दिल्ली। लोकसभा का विगुल बजने में अब महज कुछ हफ्तें रह गए है। कुल 545 सीटों पर जनता द्वारा जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे। इस लेख में हम आपको बताते है, भारत में लोकसभा के सीटों का बंटवारा कैसे किया गया है? लोकसभा के लिए चुनाव कैसे होता है? चुनाव में कौन कौन वोट कर सकता है? आदि लोकसभा से जुड़ी हर वो जानकारी जो आप जानना चाहते हैं, या आपको जानना चाहिए।
लोकतंत्र में चुनाव का मतलब क्या होता है?
भारतीय लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए, इसे सुचारु ढंग से चलाने के लिए और एक मजबूत विकल्प के लिए संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है। जिसमें जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि जनता के लिए विधि का निर्माण करते है और जनता पर लागू करते है। इस व्यवस्था में विधि तंत्र पर किसी भी प्रकार के एकाधिकार को समाप्त करने के लिए नियमित समय पर चुनाव कराएं जाते है।
भारत की संसदीय व्यवस्था
लोकतंत्र में चुनाव के कई तरीके हैं। चुकी भारत भी एक लोकतांत्रिक देश है इसलिए यहां भी चुनाव के कई स्तर और तरीके है। जिसके द्वारा जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। भारत की संसद में राष्ट्रपति के साथ साथ हाउस ऑफ पीपल और कांसिल ऑफ स्टेट्स में विभाजित हैं। संविधान के पांचवें भाग के अनुच्छेद 79 से 122 तक संसद के गठन, संसद की संरचना, अवधि, अधिकारियों, प्रक्रिया, विशेषाधिकार सहित अन्य अधिकारों को वर्णित किया गया है।
हाउस ऑफ पीपल (लोकसभा)
भारतीय संसद के निचले सदन को लोकसभा कहा जाता है। इसे हाउस ऑफ पीपल भी कहा जाता है। यह जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा बनी होती है। फिलहाल इस सदन में 545 सदस्य है। लेकिन संविधान का अनुच्छेद 81 के मुताबिक सदन में कुल सांसदों की संख्या 552 हो सकती है। इसमें राज्यों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 530 और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 20 सदस्य शामिल हैं। जबकि संविधान का अनुच्छेंद 331 के अनुसार भारत का राष्ट्रपति एंग्लो् इंडियन समुदाय से भी 2 सदस्यों को नामित कर सकता है।
लोकसभा का कार्यकाल
भारतीय संविधान का अनुच्छेक 83(2) के मुताबिक लोकसभा का कार्यकाल उसके गठन के तारीख से 5 वर्षों तक रहती है। लेकिन राष्ट्रपति चाहें तो उससे पहले भी सदन का विघटन कर सकते हैं । संसद के इस सदन का सदस्य होने के लिए व्यक्ति का 25 वर्ष से अधिक आयु के साथ साथ उसका भारतीय नागरिक होना जरूरी है।
कांसिल ऑफ स्टेट्स (राज्यसभा)
संसद के ऊपरी सदन को काउंसिल ऑफ स्टेट्स कहा जाता है। सदन के सदस्यों का चुनाव लोकसभा के सदस्यों द्वारा चुना जाता है। राज्यसभा के लिए चुनाव सदन में अप्रत्यक्ष रूप से किया जाता है। राज्यसभा सांसदों की संख्या कुल 250 होती है। जिसमें 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित होते हैं। यह ससंद का स्थाई सदन होता है, जिसे भंग नहीं किया जा सकता है। सदस्यों का कार्यकाल 6 साल का होता है, इसमें हर दूसरे साल पर एक तिहाई सदस्य रिटायर होते हैं। इसलिए हर दो साल पर चुनाव होता है।
लोकसभा के सदस्यों का चुनाव
भारतीय संविधान की लोक प्रतिनिधित्वन अधिनियम, 1951 की धारा 14 के मुताबिक भारत का राष्ट्रपति देश के सभी निर्वाचन क्षेत्रों से यह अपेक्षा करता है कि वे लोकसभा के लिए अपने सदस्यों का चुनाव करें। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार लोकसभा के निर्वाचन व्यस्क अपने निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव करते हैं।
लोकसभा में किस राज्य से कितने सीट है?
वर्तमान में लोकसभा में कुल सीटों की संख्या 545 है।
- आंध्रप्रदेश -25
- अरुणाचल प्रदेश- 2
- असम -14
- बिहार-40
- छत्तीसगढ़ -11
- गोवा -2
- गुजरात -26
- हरियाणा – 10
- हिमाचल प्रदेश – 4
- जम्मू कश्मीर यूटी -5
- झारखंड -14
- कर्नाटक – 28
- केरल -20
- मध्यप्रदेश- 29
- महाराष्ट्र – 48
- मेघालय -2
- मणिपुर – 2
- मिजोरम 1
- नागालैंड -1
- दिल्ली -7
- ओडिसा -21
- पुडुचेरी -1
- पंजाब -13
- राजस्थान -25
- सिक्किम -1
- तमिलनाडु -39
- तेलंगाना -17
- त्रिपुरा 2
- उत्तरप्रदेश -80
- उत्तराखंड-5
- पश्चिम बंगल -42
- संघ शासित क्षेत्रों के लिए -6 (प्रत्येक के लिए एक)
- मनोनीत सदस्य -2