Maharashtra में भाजपा में बगावत Gopal Shetty और Atul Shah ने टिकट न मिलने पर छोड़ा पार्टी

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के करीब, भाजपा पार्टी में एक बड़ी बगावत की खबर आई है। पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी और पूर्व विधायक अतुल शाह ने पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है। दोनों नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे भाजपा में खलबली मच गई है।

Maharashtra Gopal Shetty

Politics news: Maharashtra विधानसभा चुनाव के करीब, भाजपा पार्टी में एक बड़ी बगावत की खबर आई है। पूर्व सांसद Gopal Shetty और पूर्व विधायक Atul Shah ने पार्टी से अलग होने का फैसला लिया है। दोनों नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है, जिससे भाजपा में खलबली मच गई है।

गोपाल शेट्टी का टिकट न मिलना

बोरीवली से पूर्व सांसद गोपाल शेट्टी को इस बार भाजपा ने चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनाया। पार्टी ने इस सीट से संजय उपाध्याय को उम्मीदवार बनाया है। गोपाल शेट्टी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह सिर्फ उनकी व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, बल्कि यह मुद्दा है कि बोरीवली से किसी स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट मिलना चाहिए था। उन्होंने कहा, “बोरीवली के लोगों ने मुझे 35 साल तक समर्थन दिया, और अब उन्होंने मुझसे उम्मीद की है कि मैं उनके लिए लड़ाई लड़ूं।”

अतुल शाह का पार्टी छोड़ना

उसी तरह, पूर्व विधायक अतुल शाह ने भी पार्टी से नाराजगी जताई है। उन्हें मुंबा देवी सीट से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला, क्योंकि यह सीट महायुती के शिवसेना को दे दी गई है। शिवसेना ने इस सीट से शायना एनसी को उम्मीदवार बनाया है। अतुल शाह ने कहा है कि वह भी अब निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेंगे।

दोनों नेताओं का नामांकन

गोपाल शेट्टी और अतुल शाह ने आज अपने-अपने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल करने की योजना बनाई है। उनके इस कदम से भाजपा की स्थिति कमजोर हो सकती है, खासकर जब चुनाव नजदीक हैं।

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पार्टी के अंदर का असंतोष

भाजपा में चल रहे इस असंतोष ने पार्टी के अंदर के मुद्दों को उजागर किया है। गोपाल शेट्टी ने यह भी कहा कि उनके नाम की चर्चा पार्टी के ऊपरी फोरम में हुई थी, लेकिन अंत में उन्हें टिकट नहीं दिया गया। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या भाजपा अपने पुराने कार्यकर्ताओं की अहमियत को नजरअंदाज कर रही है।

भाजपा में चल रही इस बगावत से यह स्पष्ट होता है कि पार्टी के भीतर कई नेता असंतुष्ट हैं। गोपाल शेट्टी और अतुल शाह का पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय यह दर्शाता है कि पार्टी को अपने कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। अब देखना यह है कि इन दोनों नेताओं की भागीदारी चुनाव पर किस तरह का प्रभाव डालती है।

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