Manipur: एक तरफ Manipur के जिरीबाम में मैतेई और हमार समुदायों के बीच शांति स्थापित करने के लिए सहमति बनी। दूसरी तरफ, इस समझौते के 24 घंटे के भीतर ही जिरीबाम में हिंसा भड़क उठी। यहां एक मैतेई बस्ती में गोलियां चलाई गईं। लालपानी गांव में एक घर में आग लगा दी गई।
दरअसल, मैतेई और हमार समुदायों के प्रतिनिधियों ने Manipur के हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले में स्थिति सुधारने और शांति बहाली के लिए एक साथ काम करने पर सहमति जताई थी। असम के चाय बागान क्षेत्र काचर में सीआरपीएफ की सुविधा केंद्र में गुरुवार को हुई बैठक में आमने-सामने बैठकर दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी थी।
🚨 July 10, 2024 #Meiteis had requested for protection (Pic 1&2).
Victim says when suspected #Kuki Militants burnt down his house, despite request no help came and appeals to Security Forces to save the remaining houses.
Dear @official_dgar @manipur_police can we expect some… https://t.co/YiDb4twKE5 pic.twitter.com/lvxOkP44PP
— Meitei Heritage Society (@meiteiheritage) August 3, 2024
इस दौरान दोनों पक्षों ने समझौता किया कि गोलीबारी और आगजनी की घटनाओं को कम करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। दोनों पक्ष जिरीबाम जिले में मौजूद सभी सुरक्षा अधिकारियों की मदद करेंगे। दोनों पक्ष समन्वित और नियंत्रित आवाजाही प्रदान करेंगे। इस दौरान सभी सहभागी समुदायों के प्रतिनिधियों ने समझौतों से संबंधित एक बयान जारी किया। सभी ने इस पर हस्ताक्षर किए।
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इस समझौते के 24 घंटे के भीतर ही जिरीबाम के लालपानी गांव में हिंसा भड़क उठी। शुक्रवार रात गांव के एक घर में बन्दूकधारियों ने आग लगा दी। साथ ही गांव को निशाना बनाकर कई राउंड गोले और गोलियां चलाई गईं। घटना के बाद सुरक्षा बल मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने बताया कि बदमाशों ने इलाके में सुरक्षा में खामियों का फायदा उठाकर आगजनी की। उनकी अभी तक पहचान नहीं हो पाई है।
A #Meitei was abducted, brutally beaten, and left battered by #Kukis. Fortunately, the @adgpi stepped in just in time, rescuing him and giving him urgent medical care. This brutal act stands in stark contrast to the previous week's #Meiteis peace gesture when they released a… pic.twitter.com/VAGQMnv1J7
— Gisa Rose (reborn) (@gisa_rose) August 2, 2024
Manipur में हिंसा कब शुरू हुई?
दरअसल, पिछले साल मई से ही इम्फाल घाटी के मैतेई और आसपास की पहाड़ियों पर बसे कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 200 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों बेघर हो गए हैं।
जिरीबाम में हिंसा कब शुरू हुई?
जातीय रूप से विविधतापूर्ण जिरीबाम इम्फाल घाटी और आसपास की पहाड़ियों में हुई जातीय हिंसा से काफी हद तक अछूता रहा। हालांकि, इस साल जून में एक किसान का क्षत-विक्षत शव खेत में मिलने के बाद यहां भी हिंसा भड़क उठी। दोनों पक्षों की ओर से आगजनी की घटनाओं के चलते हजारों लोगों को घर छोड़कर राहत शिविरों में जाना पड़ा। जुलाई मध्य में यहां आतंकवादियों ने सुरक्षा बल के गश्ती दल पर हमला किया था। इस दौरान एक सीआरपीएफ जवान शहीद हो गया था।