लखनऊ। माफिया Mukhtar अंसारी का रुतबा सिर्फ खुले आसमान तक सीमित नही था, बल्कि वो जेल के बंद चारदीवारी में भी खूब मौज करता था। पढिए ये किस्से जो उसके मनमर्जी को दिखाता है।
मछलियां खाने के लिए गाजीपुर जेल में तालाब खुदवा दिया
यूपी की जेलों में मुख्तार के रुआब का यह नमूना गाजीपुर जेल का किस्सा है। 2005 में मऊ में हिंसा भड़कने के बाद मुख्तार अंसारी ने पुलिस को सरेंडर किया था। तब उसे गाजीपुर जेल में रखा गया। मुख्तार तब विधायक था। उसने ताजी मछलियां खाने के लिए जेल में ही तालाब खुदवा दिया । राज्यसभा सांसद और पूर्व डीजीपी बृजलाल ने भी इस बात को माना था। मुख्तार तब गाजीपुर जेल में डीएम समेत बड़े अधिकारियों के साथ बैडमिंटन खेला करता था।
डेढ़ साल खाली रही जेलर की कुर्सी
मुख्तार अंसारी को पंजाब की रोपड़ जेल से अप्रैल 2021 में यूपी की बांदा जेल शिफ्ट किया गया। इसका असर ये हुआ कि कोई भी जेलर इस जेल का चार्ज लेने के लिए ही तैयार नहीं हुआ। बाद में दो जेल अधिकारियों विजय विक्रम सिंह और एके सिंह को भेजा गया। इस दौरान डेढ़ साल तकजेलर की कुर्सी खाली रही। जून 2021 में बांदा जिला प्रशासन ने जेल पर छापा मारा। उस दौरान कई जेल कर्मचारी मुख्तार की सेवा में लगे मिले। तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल और एसपी अभिनंदन की जॉइंट रिपोर्ट पर डिप्टी जेलर वीरेश्वर प्रताप सिंह और 4 बंदी रक्षक सस्पेंड कर दिए गए थे।
Mukhtar के बैरक से बाहर आने पर जेल के CCTV कैमरे बंद कर दिए जाते थे
मुख्तार दो साल से बांदा जेल में बंद था। मार्च, 2023 के आखिरी हफ्ते में इस जेल से एक कैदी छूटकर बाहर आया था। नाम न बताने की शर्त पर उसने बताया कि मुख्तार को स्पेशल हाई सिक्योरिटी सेल में रखा गया था। उसकी बैरक दूसरे कैदियों से अलग थी। ये बैरक जेल के बीच वाले गेट के पास ही बनी है। गेट के पास ही वह हर रोज घंटे-दो घंटे कुर्सी डालकर बैठता था। वहीं जेल अधिकारियों और दूसरे कैदियों से मिलता था। Mukhtar जब तक वहां बैठता था, कोई उस गेट से आ-जा नहीं सकता था। मुझे जब जेल से छूटना था, तब भी मुख्तार उसी गेट पर बैठा था। इस वजह से मेरी रिहाई करीब दो घंटे लेट हुई। मुख्तार जितनी देर अपनी बैरक से बाहर रहता था, तब तक जेल के उस हिस्से के CCTV बंद रहते थे, ताकि वह किससे मिल रहा है, यह किसी को पता न चले।
जेल में Mukhtar की बैरक में मिले थे बाहर का खाना
जून, 2022 में बांदा जेल में डीएम ने छापा मारा था। सूत्र बताते हैं कि तब मुख्तार की बैरक में दशहरी आम के साथ-साथ होटल का खाना मिला था। मुख्तार का रुतबा इतना था कि वह जो सुविधा चाहता, वह उसे बैरक में ही मिल जाती थी।
बताया जाता है कि मुख्तार जब ट्रांसफर होकर बांदा जेल आया, तो उसके गुर्गे जेल के आसपास किराए पर कमरा लेकर रहने लगे थे। मुख्तार के बड़े भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी ने बांदा जेल में मुख्तार की हत्या का अंदेशा जताया था।