नई दिल्ली। 29 सितबंर से पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है. हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार पितृपक्ष का महीना काफी महत्वपूर्ण होता है. इसमें अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए पूरे विधि-विधान से अनुष्ठान किए जाते हैं. कहा जाता है कि इससे पूर्वज खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
14 अक्टूबर है पितृपक्ष का आखिरी दिन
बता दें कि 29 सितबंर से शुरु होने वाले पितृपक्ष के सभी अनुष्ठानों की कड़ाई से पालन करनी चाहिए. पितृ पक्ष 2023 की शुरुआत इस बार 29 सितबंर से होने वाली है और ये 14 अक्टूबर को समाप्त होगा. पितृ पक्ष के कई लोग श्राद्ध पक्ष भी कहते हैं. इसकी शुरुआत भाद्रपद के पूर्णिमा से होती है और पितृमोक्षम के अमावस्या तक चलता है.
इन खास धार्मिक जगहों पर होता है पिंडदान
कई पवित्र धर्म स्थलों जैसे हरिद्वार, गया जैसे कई जगह पिंडदान करने का रिवाज है. ये अपने पूर्वजों की आत्मा के शांति के लिए किया जाता है. इससे परिवार के पितृ काफी प्रसन्न होते हैं. पितृ पक्ष में अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए तर्पण किया जाता है, जिसकी एक अहम विधि होती है.
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ऐसे तर्पण विधि करने से प्रसन्न होते हैं पूर्वज
गौरतलब है कि तर्पण विधि के अंतर्गत सूर्योदय से पहले एक जूड़ी ले लें. इसके बाद दक्षिणमुखी होकर इस जूड़ी को पीपल के नीचे स्थापित कर दें. लोटे में थोड़ा सा गंगाजल लेकर उसमें दूध भर दें. इसके ऊपर से काले तिल, बूरा, जौ डालकर एक चम्मच से कुशा की जूड़ी पर 108 बार जल चढ़ाते रहें. इसके अलावा एक मंत्र का उच्चारण करते रहें.