प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिकी दौरा: एक नया अध्याय, सैन्य समझौता से लेकर चीन की घेराबंदी तक।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण रहा है। पहले दिन ही उन्होंने भारत की नई पहचान को उजागर किया और इस दौरे को खास बनाते हुए विभिन्न क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। आइए देखते हैं कि कैसे यह दौरा भारत के लिए विशेष साबित हुआ।

Quad summit

Quad summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हालिया अमेरिकी दौरा भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण घटना साबित हुआ है। इस दौरे ने न केवल भारत की नई पहचान को उजागर किया, बल्कि विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत की स्थिति को भी मजबूत किया। पीएम मोदी ने डिफेंस डील, स्वास्थ्य सहयोग और वैश्विक मंचों पर भारत की भूमिका को बढ़ाने के लिए कई महत्वपूर्ण चर्चाएं कीं। इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे यह दौरा भारत के लिए एक नई दिशा का संकेत है और इसमें शामिल प्रमुख घटनाक्रमों को रेखांकित करेंगे।

भारत की सुरक्षा को नई ताकत

Quad summit के अलावा, पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता की, जिसमें वैश्विक और रणनीतिक गठबंधन को मजबूत करने पर चर्चा हुई। भारत ने अमेरिका से 31 एमक्यू-9 बी गार्जियन ड्रोन खरीदे हैं, जो देश की सुरक्षा को और मजबूत करेंगे। इन एडवांस ड्रोन के माध्यम से भारत की इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनाइसेंस क्षमताओं में वृद्धि होगी।

चिकित्सा क्षेत्र में भारत की भूमिका

Quad summit कैंसर मूनशॉट पहल के तहत, पीएम मोदी ने 7.5 मिलियन डॉलर की सहायता की घोषणा की, जिसमें सैंपलिंग किट्स, डिटेक्शन किट्स और वैक्सीन्स शामिल हैं। यह पहल जीवन बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण साझेदारी है, और भारत ने इस क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभाने का संकल्प लिया है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का समर्थन

मोदी और बाइडेन के बीच हुई वार्ता में अमेरिका ने भारत की UNSC में स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन दिया। पीएम मोदी ने इस मुद्दे को उठाते हुए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की वैश्विक परिस्थितियों की चर्चा की।

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चीन के खिलाफ एकजुटता

इस सम्मेलन के दौरान, भारत ने चीन के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत किया। सभी नेताओं ने दक्षिण चीन सागर में चीन की गतिविधियों पर चिंता व्यक्त की और समुद्री विवादों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया। संयुक्त घोषणा में सभी देशों ने चीन के सैन्यीकरण और बलपूर्वक गतिविधियों की निंदा की।

यह दौरा भारत के लिए नई संभावनाओं और चुनौतियों का संकेत है, और इसे भारतीय विदेश नीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा सकता है।

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