नई दिल्ली। कांग्रेस द्वारा अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के आमंत्रण को अस्वीकार करना पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। कांग्रेस के इस फैसले से जहां उसे बीजेपी समेत अन्य दलों द्वारा घेरा जा रहा है, वहीं दूसरे तरह उसके खुद के कार्यकर्ता भी पार्टी के इस निर्णय से खुश नहीं है। मामले में पार्टी के फैसले के बचाव में मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का जब पूर्ण निर्माण हो जाएगा फिर 1 लाख से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ता राम लला के दर्शन को जाएंगे। बीजेपी अपनी राजनीतिक लाभ के लिए अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कर रही है।
कांग्रेस नेताओं का बचाव
पार्टी ने अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने और आयोजन का राजनीतिकरण का आरोप लगाया है। कांग्रेस के फैसले को लेकर सियासत तेज हो और पार्टी चौतरफ़ा घिर गई। पार्टी के निर्णय के बाद कांग्रेस के कई प्रवक्ताओं ने पार्टी की प्राथमिकत सदस्यता यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि पार्टी के निर्णय से मुझे आघात हुआ। पार्टी के फैसले पर कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी केंद्रीय नेताओं के निर्णय का बचाव किया है। बचाव में उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण पूरा होने पर एक लाख से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ता श्रीराम भगवान के दर्शन को अयोध्या जाएंगे।
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भाजपा भी नियमों का उलंघन कर रही है: कांग्रेस
पार्टी के फैसले पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि लिखा- यज्ञ, अनुष्ठान में कौन से नियमों का पालन करना है ये सर्वोच्च पद पर आसीन धर्म गुरु ही बता सकते हैं। सनातन धर्म में शंकराचार्य से बड़ा कोई पद नही होता। अयोध्या में एक नहीं चारों मान्य पीठों के शंकराचार्य शास्त्र पूजा विधि की अवहेलना एवं किसी अधूरे निर्मित मंदिर में भगवान के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को अनुचित मान रहे हैं। और उन्होंने ने भी प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने से इंकार कर दिया तो इसमें गलत क्या है?