Sadhvi Prachi Yashvir Maharaj Hate Speech: उत्तर प्रदेश के बागपत और मुजफ्फरनगर से आए दो प्रमुख हिंदू नेताओं के हालिया बयान देश के सामाजिक ताने-बाने को फाड़ने वाले साबित हो सकते हैं। विश्व हिंदू परिषद की सदस्य साध्वी प्राची आर्य ने प्रधानमंत्री से देश के मदरसों की व्यापक जाँच कराने की माँग की है, उनका आरोप है कि वहाँ हथियारों का जखीरा छिपा है। इतना ही नहीं, Sadhvi Prachi ने सनातन धर्म को बचाने के लिए देश में आपातकाल लगाने की भी माँग कर डाली।
दूसरी ओर, मुजफ्फरनगर के बघरा योग आश्रम के संचालक स्वामी यशवीर महाराज ने हिंदुओं से अपील की है कि वे गैर-मजहबी डॉक्टरों से दवा न लें, क्योंकि उनका दावा है कि ये डॉक्टर नरसंहार की साजिश में शामिल हो सकते हैं। इस तरह के निराधार और विभाजनकारी बयान खुले तौर पर दो समुदायों के बीच अविश्वास की खाई को गहरा कर रहे हैं, जिससे सामाजिक सौहार्द बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
एक समुदाय पर निशाना: हथियारों और साजिश के गंभीर आरोप
Sadhvi Prachi आर्य ने दिल्ली में हुए बम धमाकों का उल्लेख करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि पहले केवल छोटे कामगार (पंक्चर ठीक करने वाले, ठेली लगाने वाले) आतंकी गतिविधियों में शामिल होते थे, लेकिन अब डॉक्टर भी इसमें शामिल हो गए हैं। उनके इस बयान का सीधा निशाना एक समुदाय विशेष के पेशेवर लोगों पर है, जो न केवल उन्हें संदिग्ध बनाता है, बल्कि आम नागरिकों के मन में उनके प्रति डर और घृणा पैदा करता है।
Sadhvi Prachi ने मदरसों पर आरोप लगाया कि वहाँ युवाओं की मानसिकता बदली जाती है और उन्हें गलत कार्यों के लिए उकसाया जाता है। उन्होंने ढिकौली गाँव की एक घटना का उदाहरण देते हुए, बच्चों को सनातन धर्म के विरोध में खड़ा करने में मदरसों की भूमिका को सबसे अधिक बताया। इस तरह के आरोप सीधे तौर पर अल्पसंख्यक समुदाय की शिक्षण संस्थाओं और पूजा स्थलों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं, जिससे अंतर-सामुदायिक संबंध बिगड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
‘डॉक्टरों से दवा न लें’: स्वास्थ्य सेवा पर भी धार्मिक विभाजन
स्वामी यशवीर महाराज का बयान तो और भी अधिक खतरनाक है, क्योंकि यह सीधे तौर पर लोगों की जीवन रक्षा से जुड़े मुद्दे को धार्मिक रंग दे रहा है। गुजरात से कथित तौर पर पकड़े गए तीन आतंकियों का हवाला देते हुए, यशवीर महाराज ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा जहर तैयार किया जिससे हिंदुओं का नरसंहार किया जा सके। इस आधार पर, उन्होंने सनातन धर्म के लोगों को सलाह दी कि वे अपने जीवन की रक्षा के लिए गैर मजहब के डॉक्टरों से दवा न लें।
यह अपील न सिर्फ स्वास्थ्य सेवा जैसे आवश्यक क्षेत्र में धार्मिक पूर्वाग्रह पैदा करती है, बल्कि यह सांप्रदायिक सोच को चरम पर ले जाती है। एक डॉक्टर का पेशा मानवता की सेवा पर आधारित होता है, लेकिन यशवीर महाराज के बयान से यह संदेश जाता है कि डॉक्टर का धर्म उसकी पेशेवर नैतिकता से ऊपर है, जिससे हिंदुओं के मन में गैर-हिंदू डॉक्टरों के प्रति संदेह और असुरक्षा की भावना घर कर सकती है।
सामाजिक सौहार्द को नुकसान
इन बयानों का सबसे बुरा असर समाज के सामूहिक विश्वास पर पड़ता है। साध्वी प्राची के आरोप एक पूरे समुदाय को संदिग्ध की श्रेणी में खड़ा कर देते हैं, जिससे दोनों समुदायों के बीच विश्वास की नींव हिल जाती है। वहीं, यशवीर महाराज की अपील लोगों को अपने पड़ोसियों, सहकर्मियों और यहाँ तक कि जीवन बचाने वाले डॉक्टरों पर भी धार्मिक आधार पर अविश्वास करने को मजबूर करती है।
जब समाज का एक वर्ग दूसरे वर्ग को साज़िशकर्ता और देशद्रोही मानने लगे, तो राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सौहार्द को गंभीर क्षति पहुँचती है। इस तरह के बयान ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की संभावना को कम करते हैं, जिससे समाज में लगातार तनाव और विभाजन की स्थिति बनी रहती है।



