Shimla: हिमाचल प्रदेश में शहरी विकास मंत्री विक्रमादित्य सिंह के बयान ने प्रदेश की राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। बुधवार (25 सितंबर) को दिए गए उनके बयान के बाद हिमाचल प्रदेश में रेहड़ी-पटरी वालों के लिए नेमप्लेट लगाने का मामला गरमा गया है। विक्रमादित्य सिंह ने यूपी की तर्ज पर रेहड़ी-पटरी वालों को लाइसेंस देने और उन्हें दुकानों के सामने अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने की वकालत की थी। लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस बयान से किनारा करते हुए कहा कि इस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और कैबिनेट इस विषय पर विचार कर रही है।
Jammu: On the Himachal Pradesh Government's order for eateries to display the names of their owners, Congress Rajya Sabha MP Rajeev Shukla says, "We discussed this with Chief Minister and PWD Minister Vikramaditya Singh, and it was decided that the Speaker of the Legislative… pic.twitter.com/DmiuEKlUfZ
— IANS (@ians_india) September 26, 2024
विपक्ष और जनता की प्रतिक्रिया विवाद की जड़
विक्रमादित्य सिंह के बयान के बाद विपक्षी दलों ने इसे सरकार की दोहरी नीति करार दिया है। विपक्षी बीजेपी ने सवाल उठाए कि सरकार एक ओर गरीबों और छोटे व्यापारियों की भलाई का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर उनके व्यवसाय को अनावश्यक नियमों और प्रतिबंधों में उलझाकर उन्हें नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रही है। जनता के बीच भी इस फैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं आई हैं। कई लोगों ने इसे आवश्यक बताया ताकि शहरों में सफाई और व्यवस्था बनी रहे, तो वहीं कुछ का मानना है कि यह कदम छोटे व्यापारियों को और अधिक परेशान करने वाला है।
Shimla, HP: PWD Minister Vikramaditya Singh states, "In our recent meeting with the UD and Municipal Corporation, we decided that all street vendors, whether selling goods or food items… The Food and Civil Supplies department will mandate that vendors display their names and… pic.twitter.com/RassNJW5QE
— IANS (@ians_india) September 25, 2024
कैबिनेट का अंतिम फैसला: नेमप्लेट विवाद का समाधान?
Shimla सरकार ने अब तक कोई स्पष्ट दिशा नहीं दी है, लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने संकेत दिया है कि विभिन्न वर्गों से मिली राय को ध्यान में रखते हुए ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। शहरी विकास विभाग की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई है, जो इस मामले पर सिफारिशें देगी। इस समिति में विक्रमादित्य सिंह समेत अन्य मंत्री और विधायकों को शामिल किया गया है। अंतिम फैसला कैबिनेट के गहन मूल्यांकन के बाद ही लिया जाएगा।