नई दिल्ली: आज यानी 19 अगस्त को पूरे भारत देश में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जा रहा है, लेकिन आज की तारीख खगोलीय घटनाओं के शौकीनों के लिए भी एक विशेष अवसर लेकर आई है। आज 19 अगस्त 2024 की रात को साल का पहला सुपरमून (Super Blue Moon) दिखाई देने वाला है। चलिए आज के इस लेख में बताते हैं कि सुपर ब्लू मून क्यों इतना खास माना जाता है।
NASA की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 अगस्त से लेकर अगले 3 दिनों तक यानी रविवार सुबह से बुधवार सुबह तक पूरा चांद देखा जा सकेगा। बता दें, कि साल में 4 सुपरमून होते हैं। आज 19 अगस्त को पहला सुपरमून (Super Blue Moon) दिखाई देगा। जब सुपरमून और ब्लू मून एक साथ आते हैं, तो इसे स्टर्जन मून (Sturgeon Moon) कहा जाता है।
जानकारी के ले बता दें, चांद की धरती के चारों ओर की परिक्रमा के दौरान उसकी दूरी बदलती रहती है। चांद कभी धरती से सबसे दूर 405,500 किलोमीटर होता है और कभी सबसे करीब 363,300 किलोमीटर होता है। जब चांद धरती के सबसे करीब होता है और उस दिन पूर्णिमा फुल मून भी होती है, तो उसे सुपरमून (Super Blue Moon) कहते हैं। यह शब्द साल 1979 में वैज्ञानिक रिचर्ड नोल ने दिया था। सुपरमून सामान्य चांद की तुलना में लगभग 30% ज्यादा चमकीला और 14% बड़ा दिखाई देता है। अब ये भी जान लीजिए की ब्लू मून होता क्या है। जैसा नाम है उससे बिल्कुल अलग होता है। ब्लू मून नीले रंग का नहीं होता। यह सफेद रंग का ही दिखता है। ब्लू मून शब्द का इस्तेमाल 1528 से हो रहा है। ब्लू मून दो प्रकार के होते हैं, मौसमी और मासिक।
मौसमी ब्लू मून तब होता है जब एक मौसम में वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दी पूर्णिमा होती हैं। तीसरी पूर्णिमा को ब्लू मून कहा जाता है। आज 19 अगस्त को मौसमी ब्लू मून है। दूसरा ब्लू मून मासिक होता है। यह तब होता है जब एक ही महीने में 2 पूर्णिमा आती हैं। उस महीने की दूसरी पूर्णिमा ब्लू मून कहलाती है। 19 अगस्त के बाद अगली पूर्णिमा सितंबर और अक्टूबर में होगी।
सुपरमून और ब्लू मून का एक साथ आना दुर्लभ है। सुपरमून साल में 3 से 4 बार होते हैं, जिसमें से लगभग 25% पूर्ण चंद्रमा सुपरमून होते हैं, लेकिन केवल 3% पूर्ण चंद्रमा ब्लू मून होते हैं। सुपर ब्लू मून के बीच का समय काफी अनियमित होता है। ऐसा भी हो सकता है कि 20 साल तक इसे देखना मुश्किल हो! आमतौर पर यह घटना हर 10 साल में एक बार होती है। अगला सुपर ब्लू मून जनवरी और मार्च 2037 के बीच दिखाई देगा।
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कुछ विशेष अवसरों पर चांद नीला दिखाई दे सकता है, लेकिन पहले यह जानना जरूरी है कि चांद कैसे चमकता है। चांद के पास अपनी खुद की रोशनी नहीं होती। सूरज की रोशनी चांद की सतह से रिफ्लेक्ट होकर धरती तक पहुंचती है, जिससे रात के समय चांद चमकता हुआ नज़र आता है। बहुत कम मौको पर चांद नीला दिखाई देता है। जब हवा में छोटे कण, जैसे धुआं या धूल लाइट की रेड वेवलेंथ को बिखेर देते हैं। इस बिखराव के कारण चांद नीला दिखाई दे सकता है!