नई दिल्ली। कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा चुनाव के बाद से सत्ताधारी पार्टी की चिंताएं बढ़ गई थी. दरअसल कांग्रेस के 6 बागी विधायकों ने पार्टी लाइन से हट कर भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट किया था. जिसके बाद से लगातार ये कयास लगाए जा रहे थे कि, सूबे की सत्ता कांग्रेस के हाथ से छूट सकती है. इसको लेकर 28 फरवरी यानी कल हिमाचल में लगातार सियासी ड्रामा देखने को मिला. अब स्पष्ठ होता दिख रहा है कि राज्य में फिलहाल भाजपा के ऑपरेशन लोटस का खतरा खत्म हो गया है. वहीं हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू बने रहेंगे.
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कांग्रेस के गढ़ हिमाचल में भाजपा की जीत
बता दें कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन की जीत हुई, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक सिंह मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा. इसका मुख्य कारण कांग्रेस पार्टी के बागी बने 6 विधायक थे, जिसके क्रॉस वोटिंग के जरिए कांग्रेस की गढ़ में भाजपा की जीत हुई. राज्य में विधायकों की कुल संख्या 68 है. ऐसे में कई राजनीतिक विशेषज्ञ का मानना था, इतने कम विधानसभा सीट वाले राज्य में भाजपा ऑपरेशन लोटस के जरिए, कांग्रेस की सरकार गिरा सकती है.
भाजपा नेताओं ने की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस
हिमाचल में कांग्रेस के पास कुल एमएलए की संख्या 34 है, वहीं दूसरी तरफ भाजपा के 28 सीटों पर विधायक हैं, जबकि 3 निर्दलीय हैं. अगर क्रॉस वोटिंग किए 6 बागी विधायक भाजपा में शामिल होते तो भाजपा एमएलए की कुल संख्या 31 होती, वहीं कांग्रेस के पास 28 एमएलए बचते और ऐसे में 3 निर्दलीय विधायकों की भी भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती. 29 फरवरी को कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार, हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और हिमाचल सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें ये साफ हो गया कि, पार्टी लाइन से हटकर क्रॉस वोटिंग करने वाले बागी 6 विधायक कांग्रेस के साथ ही रहेंगे और यहां पर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार अपने 5 साल पूरे करेगी.
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