Weather Forecast: राजधानी दिल्ली और आसपास के शहरों में आज सावन के आखिरी सोमवार और रक्षाबंधन के त्योहार पर सुहाना मौसम है। बादल छाया हुआ है, लेकिन उमस भरी गर्मी परेशान कर रही है। मौसम विभाग ने कहा कि आज शाम तक राजधानी में मौसम बदल सकता है। साथ ही 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेगी और भारी बारिश भी हो सकती है। आज, मौसम विभाग ने उत्तर प्रदेश समेत देश के दस से अधिक राज्यों में बारिश (Weather Forecast) का अलर्ट जारी किया है। पश्चिम बंगाल में 21 अगस्त तक भारी बारिश होने की उम्मीद है, लेकिन मध्य प्रदेश और बिहार में मानसून की गति कम होगी। आइए देखें कि देश भर में मौसम कैसा रहेगा?
मानसून का असाधारण प्रदर्शन जारी
दिल्ली के निवासियों ने पिछले 18 दिनों से लगातार (Weather Forecast) बारिश का अनुभव किया है, जो एक असामान्य घटना है। चांदनी चौक जैसे ऐतिहासिक स्थल भी इस जलीय आक्रमण से अछूते नहीं रहे, जिससे कई क्षेत्रों में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई। यह परिस्थिति शहर के बुनियादी ढांचे की क्षमता को चुनौती दे रही है।
तापमान का खेल
- कल का अधिकतम: 34.6°C
- आज का अनुमानित: अधिकतम 35°C, न्यूनतम 27°C
आकाश में छाए काले बादल मानसून के जारी रहने का संकेत दे रहे हैं। मौसम विभाग ने 24 अगस्त तक असामान्य मौसम की भविष्यवाणी की है, जिसमें तेज हवाओं के साथ भारी वर्षा शामिल है।
देशभर में बारिश का हाल
स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के अनुसार, देश के विभिन्न हिस्सों में आज और कल बारिश की संभावना है। यह क्षेत्र उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक फैले हुए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- उत्तर भारत: दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश
- पश्चिम भारत: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा
- मध्य भारत: मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
- पूर्वी भारत: बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा
- उत्तर-पूर्व: सिक्किम, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा
- दक्षिण भारत: कर्नाटक, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडु
- द्वीपीय क्षेत्र: लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार
पहाड़ी राज्यों में मौसम का मिजाज
हिमालय क्षेत्र के राज्यों में भी मानसून की सक्रियता जारी है:
- हिमाचल प्रदेश: अगले 48 घंटों में चुनौतीपूर्ण मौसम की संभावना
- उत्तराखंड: 22 अगस्त तक वर्षा का पूर्वानुमान
- जम्मू-कश्मीर: दो दिनों के बाद मौसम में सुधार की उम्मीद
यह असामान्य मौसम पैटर्न जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की ओर इशारा करता है, जो भविष्य में और अधिक अप्रत्याशित मौसम घटनाओं का कारण बन सकता है। यह स्थिति नागरिकों, नीति निर्माताओं और वैज्ञानिकों के लिए चिंता का विषय है, जो इन परिवर्तनों से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों पर विचार कर रहे हैं।