फिल्मी सितारों के पॉलिटिक्स (lok sabha election 2024) में आने की शुरुआत साउथ सिनेमा से हुई, जिसके बाद ये सिलसिला आज तक चल रहा है। राजनीति में आने के बाद कई सितारों का पॉलिटिकल करियर सफल रहा तो कुछ ने समय के साथ राजनीति से दूरी बना ली। इस साल के लोकसभा चुनाव से पहले जिन फिल्मीं सितारों के नाम इस वक्त काफी चर्चा में हैं, इन्हीं में से एक हैं एक्टर गोविंदा।
गोविंदा साल 2004 में सांसद का चुनाव जीते थे, पर साल 2009 आते-आते उन्होंने राजनीति से दूरी बना ली थी। अब एक बार फिर से गोविंदा ने एकनाथ शिंदे की शिव सेना की ओर रुख किया है। इसी को लेकर चुनावी गलियारों में अब ये चर्चा जोरो-शोरों से है कि उन्हें मुंबई की किसी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा जाएगा। वहीं गोविंदा से पहले भारतीय जनता पार्टी ने हिमाचल प्रदेश के मंडी से एक्ट्रेस कंगना रनौत को चुनाव मैदान में उतार दिया है। लोकसभा चुनाव (lok sabha election 2024) के बहाने आइए जान लेते हैं कि किन-किन सितारों ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई ? कितने रहे सफल और किसने कर ली तौबा ?
पॉलिटिक्स में फिल्मीं सितारों के आने की शुरुआत दक्षिण में तमिल फिल्मों के सुपरस्टार एमजी रामचंद्रन से मानी जाती है। फिल्मों में तो उनका अभिनय लोगों को पसंद ही आता था, लेकिन जब राजनीति में एमजी रामचंद्रन ने एंट्री की तो देखते ही देखते मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए और एक लंबी पारी खेली। इसी तरह साउथ की 300 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके एनटी रामाराव ने राजनीति में लंबी पारी खेली। एनटी रामाराव ने साल 1982 में तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना की थी, इसके बाद वे आंध्र प्रदेश के 10वें मुख्यमंत्री भी बने थे। साल 1983 से लेकर साल 1994 के बीच वह तीन बार मुख्यमंत्री रहे।
इन दो नामों के बाद साउथ सिनेमा के एक और बड़े स्टार का नाम राजनीति में आने के लिए जाना जाता है और वो नाम है जे जयललिता। साल 1977 में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे एमजी रामाचंद्रन जयललिता को राजनीति में लाए थे। पॉलिटिक्स में एंट्री करने के बाद जयललिता ने फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1991 की 24 जून को वह पहली बार मुख्यमंत्री बनी थीं, इसी को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने 6 बार ये शपथ ली थी। साउथ फिल्मों के ही पॉपुलर एक्टर चिरंजीवी ने भी फिल्मों के अलावा राजनीति में भी हाथ आजमाया था।
तमिल फिल्मों के सुपरस्टार विजयकांत हों या फिर स्क्रिप्ट राइटर करुणानिधि, सबने राजनीति में मुकाम हासिल किया था। दक्षिण में भगवान के रूप में पूजे जाने वाले रजनीकांत ने साल 2017 में राजनीति में कदम रखा पर उनका यह सफर महज 26 दिनों में ही खत्म हो गया था। अपनी बनाई पार्टी भी उन्होंने साल 2021 में भंग कर दी थी। इसके अलावा अभिनेता कमल हासन ने साल 2018 में मक्कल निधि मय्यम नाम से राजनीतिक पार्टी बनाई थी। साउथ के स्टार पवन कल्याण, सुरेश गोपी भी राजनीति में अपनी किस्मत आजमा चुके हैं। सुपरस्टार थलापति विजय ने हाल ही में राजनीतिक पार्टी तमिझगा वेत्री कड़गम की स्थापना की है।
वहीं बात अगर बॉलीवुड के राजनीति में इंटरेस्ट लेने की करें तो, देश के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना से लेकर महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन तक पॉलिटिक्स में अपना हाथ आजमा चुके हैं। राजीव गांधी के कहने पर साल 1984 में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से आम चुनाव जीता था, लेकिन फिल्मों में काम करने की व्यस्तता के चलते साल 1987 आते-आते अमिताभ बच्चन ने राजनीति से सन्यास लेना बेहतर समझा था। इसके बाद राजनीति में फिल्मीं कलाकारों के आने की इस परंपरा को अमिताभ बच्चन की पत्नी जया बच्चन ने आगे बढ़ाया। जया बच्चन साल 2004 से ही लगातार राज्यसभा सांसद और सपा की नेता हैं।
हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले अभिनेता राजेश खन्ना भी राजनीतिक अखाड़े में हाथ आजमा चुके थे। साल 1991 के लोकसभा चुनाव में राजेश खन्ना सीधे लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ चुनाव लड़े थे। भले ही उन्हें इस मुकाबले में हार मिली थी, लेकिन साल 1992 में उन्होंने उसी दिल्ली सीट से कांग्रेस के टिकट पर उपचुनाव जीत लिया था। उस दौरान उनके सामने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर सामने थे। शत्रुघ्न सिन्हा 33 सालों से राजनीति में सक्रिय हैं और फिलहाल पश्चिम बंगाल की आसनसोल सीट से टीएमसी के टिकट पर लड़कर संसद पहुंचे।
इसके अलावा अभिनेता धर्मेंद्र ने भी साल 2004 में राजस्थान की बीकानेर सीट से बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता था, लेकिन इसके बाद उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। धर्मेंद्र ने साल 2008 में ही राजनीति छोड दी थी। इस क्रम को उनके बेटे सनी देओल ने आगे बढ़ाते हुए साल 2019 में बीजेपी के ही टिकट पर पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट जीती थी, लेकिन अब उन्हें राजनीति में ज्यादा सक्रिय नहीं देखा जाता है, लेकिन धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी और एक्ट्रेस हेमा मालिनी लंबे वक्त से राजनीति में एक्टिव हैं और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी इस बार भी चुनावी मैदान में हैं।
फिल्मों के बाद पॉलिटिक्स में भी अभिनेता विनोद खन्ना ने लंबी पारी खेली। साल 1997 में बीजेपी से जुड़ने के बाद वे गुरदासपुर से सांसद बने। इसके बाद साल 2002 के जुलाई महीने में केंद्र में संस्कृति और पर्यटन मंत्री बने। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए साल 2003 में वे विदेश राज्य मंत्री बने। इस बार बीजेपी ने उनकी पत्नी कविता खन्ना को गुरदासपुर से टिकट देने का प्रस्ताव रखा है। वहीं कांग्रेस पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश के बड़े नेताओं में अभिनेता राज बब्बर का नाम लिया जाता है। वे दो बार राज्यसभा और तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं। एक्ट्रेस जया प्रदा ने भी फिल्मों में काम करने के बाद एनटी रामाराव की पार्टी तेलुगु देशम से राजनीति में कदम रखा था। पिर वह उत्तर भारत की राजनीति में सपा के जरिए नज़र आईं। इसके बाद साल 2019 में वे बीजेपी में शामिल हो गई थीं।
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बॉलीवुड इंडस्ट्री के बड़े अभिनेता सुनील दत्त भी राजनीति में अपना वर्चस्व लहराते हुए नज़र आए थे। सुनील दत्त और राजीव गांधी में गहरी दोस्ती थी। ये बात उस दौरान सभी जानते थे। राजीव गांधी के कहने पर ही सुनील दत्त राजनीति में आए थे। इसके बाद वे 5 बार सांसद चुने गए। इतना ही नहीं साल 2004 में उन्हें केंद्र में युवा और खेल मंत्रालय का मंत्री भी बनाया गया था। बॉलीवुड और साउथ सिनेमा के बाद भोजपुरी फिल्मों के भी कई बड़े नाम राजनीति में एंट्री ले चुके हैं।