Winter Session Parliament: संसद का आगामी शीतकालीन सत्र, जो 1 दिसंबर से शुरू होकर 19 दिसंबर तक चलेगा, विधायी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर अत्यधिक गहमागहमी वाला रहने वाला है। सरकार ने इस सत्र के लिए 10 नए बिल सूचीबद्ध किए हैं, जिनमें एटॉमिक एनर्जी बिल सबसे महत्वपूर्ण है, जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा सेक्टर को निजी कंपनियों के लिए खोलकर ऐतिहासिक बदलाव लाना है। इसके अलावा, हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल के माध्यम से UGC जैसी संस्थाओं को भंग कर एक केंद्रीय नियामक बनाने की योजना है। हालांकि, विपक्ष ने ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’ विवाद को सत्र की बहस पर हावी रखने की पूरी तैयारी कर ली है, जिसने पिछले मानसून सत्र को भी हंगामे की भेंट चढ़ा दिया था।
सरकार 30 नवंबर को सर्वदलीय बैठक बुलाकर सहयोग मांगेगी, लेकिन विपक्ष के तेवर और मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ संभावित महाभियोग की तैयारी से सत्र में तीखे टकराव की स्थिति बनी हुई है।
विधायी एजेंडा: 10 अहम बिलों पर फोकस
सरकार ने इस 15 बैठकों वाले सत्र में लंबे समय से लंबित कई अहम विधेयकों को आगे बढ़ाने का फैसला किया है।
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एटॉमिक एनर्जी बिल: यह बिल परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सबसे बड़ा बदलाव लाएगा। वर्तमान में सरकारी कंपनियों तक सीमित न्यूक्लियर प्लांट्स के निर्माण और संचालन को नए बिल के तहत भारतीय और विदेशी प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलने की अनुमति मिल जाएगी। इसे परमाणु ऊर्जा उत्पादन में प्रतिस्पर्धा और निवेश बढ़ाने वाला एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
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हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया बिल: यह बिल उच्च शिक्षा व्यवस्था में ढांचागत परिवर्तन करेगा। इसके लागू होने पर UGC, AICTE, और NCTE जैसी संस्थाएं समाप्त हो जाएंगी, और उनकी जगह एक ही केंद्रीय नियामक संस्था स्थापित की जाएगी। सरकार का तर्क है कि इससे शैक्षणिक संस्थानों को अधिक स्वायत्तता और व्यवस्था में पारदर्शिता मिलेगी।
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नेशनल हाईवे (संशोधन) बिल: इसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को सरल और तेज बनाना है, जिससे परियोजनाओं में होने वाली देरी को रोका जा सके।
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कॉरपोरेट लॉ (अमेंडमेंट) बिल, 2025: इस बिल के माध्यम से कंपनी अधिनियम 2013 और LLP अधिनियम 2008 में आवश्यक संशोधन कर ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को और बढ़ावा दिया जाएगा।
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सिक्योरिटीज मार्केट्स कोड बिल: यह कानून सेबी एक्ट, डिपॉजिटरी एक्ट और सिक्योरिटीज कॉन्ट्रैक्ट्स एक्ट को एक ही कानून के तहत समाहित कर देगा।
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संविधान का 131वां संशोधन: इसके तहत चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रस्ताव है, जिस पर पहले से ही विवाद की स्थिति बनी हुई है।
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इसके अतिरिक्त, कंपनियों और व्यक्तियों के बीच विवादों के त्वरित निपटारे के लिए मध्यस्थता कानून को भी संशोधित करने की तैयारी है।
राजनीतिक टकराव: ‘SIR’ और महाभियोग की तैयारी
इस Winter Session में सरकार का विधायी एजेंडा जितना बड़ा है, विपक्ष की राजनीतिक घेराबंदी की तैयारी उतनी ही मजबूत है।
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‘SIR’ मुद्दा हावी: संकेत स्पष्ट हैं कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) का मुद्दा सत्र की बहस और कार्यवाही पर हावी रहेगा। मानसून सत्र में भी इसी विवाद के चलते कार्यवाही का एक बड़ा हिस्सा बाधित रहा था।
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मुख्य चुनाव आयुक्त पर महाभियोग: INDIA गठबंधन ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के खिलाफ संभावित महाभियोग नोटिस लाने की तैयारी कर रखी है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब CEC ने राहुल गांधी को चुनाव आयोग पर लगाए गए वोट चोरी के आरोपों पर या तो हलफनामा देने या सार्वजनिक माफी मांगने को कहा था।
कुल मिलाकर, यह Winter Session राजनीतिक टकराव, तीखी बहस और महत्वपूर्ण विधायी गतिविधियों का एक साथ गवाह बनने जा रहा है। सरकार ने जहां अपना एजेंडा तय कर लिया है, वहीं विपक्ष ने अपने तेवर स्पष्ट कर दिए हैं, जिसकी बानगी 30 नवंबर को होने वाली सर्वदलीय बैठक में देखने को मिलेगी।
