‘थ्री इडियट्स’ का आंदोलन बना ‘GenZ क्रांति’, लेह में हिंसा का तांडव: क्या भारत में भी अब शुरू होगा युवा विद्रोह?

लेह में सोनम वांगचुक के समर्थन में छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो गया। पुलिस के साथ झड़प में, प्रदर्शनकारियों ने एक CRPF गाड़ी जलाई और भाजपा कार्यालय पर हमला किया। यह घटना लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांगों के बीच हुई है।

Ladakh

Ladakh protests: लद्दाख के लेह में बुधवार (25 सितंबर 2025) को पर्यावरणविद सोनम वांगचुक के अनशन के समर्थन में छात्रों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, जो जल्द ही हिंसक हो गया। इस प्रदर्शन में युवाओं और पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें छात्रों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक गाड़ी को आग लगा दी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के जिला कार्यालय पर हमला बोल दिया। यह घटना लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा प्रदान करने की लंबे समय से चल रही मांगों के बीच हुई है। युवा पीढ़ी, जिसे GenZ कहा जाता है, इस आंदोलन की अगुवाई कर रही है, और उनकी नाराज़गी साफ़ दिख रही है। यह प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि लद्दाख की आवाज़ अब और बुलंद हो गई है।

घटना का पूरा ब्यौरा

यह Ladakh प्रदर्शन दोपहर 1 बजे के आसपास सोनम वांगचुक के अनशन स्थल, नुंगदुक गांव, से शुरू हुआ। छात्रों ने एक विशाल जुलूस निकाला, जो लेह शहर के मुख्य इलाकों से होते हुए गुजरा। प्रदर्शनकारी “लद्दाख को राज्य बनाओ”, “संवैधानिक सुरक्षा दो” और “सोनम वांगचुक जिंदाबाद” जैसे नारे लगा रहे थे। इस प्रदर्शन को लेह एपेक्स बॉडी और लद्दाख स्टूडेंट्स एसोसिएशन जैसे स्थानीय संगठनों का समर्थन प्राप्त है।

झड़प और हिंसा

जब Ladakh पुलिस ने जुलूस को रोकने की कोशिश की तो स्थिति बिगड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। इस दौरान, गुस्से में आए युवाओं ने सीआरपीएफ की एक वैन को घेर लिया और उसमें आग लगा दी। घटना के वीडियो में काले धुएं का गुबार और जलती हुई गाड़ी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही थी। इस झड़प में कई प्रदर्शनकारियों को हल्की चोटें आईं, हालांकि किसी गंभीर चोट की खबर नहीं है।

बीजेपी कार्यालय पर हमला

झड़प के बाद, लगभग 200 युवाओं का एक समूह भाजपा के लेह स्थित जिला मुख्यालय की ओर बढ़ा। उन्होंने कार्यालय के गेट तोड़ने की कोशिश की, दीवारों पर नारे लिखे और पार्टी के झंडे उखाड़ फेंके। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में युवा “वादाखिलाफी बंद करो” के नारे लगाते हुए दिख रहे थे। इस घटना से यह साफ हो गया कि लद्दाख में शांतिपूर्ण माने जाने वाले इस आंदोलन में अब युवाओं का गुस्सा खुलकर सामने आ रहा है।

वांगचुक का अनशन और लद्दाख की लंबी लड़ाई

यह प्रदर्शन सोनम वांगचुक के 16वें दिन चल रहे अनशन के समर्थन में था, जो 10 सितंबर 2025 को शुरू हुआ था। वांगचुक ने लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा, स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर, और पर्यावरण की रक्षा की मांग की है। 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया था, लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार के वादे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। विधानसभा और संसदीय प्रतिनिधित्व न मिलने से स्थानीय लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, और उनका मानना है कि बाहरी लोग उनके संसाधनों, भूमि और रोजगार पर कब्जा कर रहे हैं। GenZ के छात्र इस आंदोलन में सबसे आगे हैं, जो यह दिखाता है कि युवाओं में अपने भविष्य को लेकर कितनी चिंता है।

नेताओं और पक्षों की प्रतिक्रिया

सोनम वांगचुक: उन्होंने युवाओं के गुस्से को जायज बताते हुए कहा, “युवाओं का गुस्सा उनके दर्द का प्रतीक है। सरकार को जल्द से जल्द बातचीत करनी चाहिए, वरना यह आंदोलन और बड़ा रूप ले लेगा।”

छात्र नेता पद्मा डोलकर: उन्होंने कहा, “हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण है, लेकिन सरकार की अनदेखी ने हमें मजबूर किया है। नेपाल और बांग्लादेश की तरह, भारत में भी युवा अपने अधिकारों के लिए जाग चुके हैं।”

प्रशासन: लेह प्रशासन ने कहा कि स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं और हिंसा को रोका जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि मांगों पर केंद्र सरकार से बात चल रही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर “वादाखिलाफी” का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने कहा है कि वे लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हैं और समाधान निकालेंगे। लद्दाख की चीन सीमा से निकटता के कारण राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा भी चर्चा में है।

क्या भारत में भी क्रांति की आहट?

लेह/Ladakh में हुआ यह प्रदर्शन कुछ हद तक हाल ही में नेपाल (2023) और बांग्लादेश (2024) में हुए GenZ क्रांतियों की याद दिलाता है। बांग्लादेश में, छात्रों के एक बड़े आंदोलन ने सरकार को गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इन आंदोलनों में युवाओं ने सोशल मीडिया का उपयोग करके बड़े पैमाने पर लोगों को इकट्ठा किया। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में भी बेरोजगारी, संवैधानिक अधिकारों, और पर्यावरण जैसे मुद्दों पर युवाओं में गुस्सा बढ़ रहा है। हालांकि, अभी यह आंदोलन लद्दाख तक ही सीमित है, लेकिन यदि सरकार मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तो यह पूरे देश में युवाओं की अगली लहर बन सकता है।

यह घटना लद्दाख के आंदोलन को एक नई गति दे सकती है। यह देखना बाकी है कि सरकार इस स्थिति को कैसे संभालती है और क्या बातचीत से कोई समाधान निकल पाता है।

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