दुनिया की कई संस्कृतियों की तरह भारत में भी शराब पीने से पहले उसकी कुछ बूंदें जमीन पर छिड़कने की परंपरा गहरी धार्मिक–सांस्कृतिक मान्यताओं से जुड़ी है, जिसे अंग्रेजी में “Libation” कहा जाता है।
लाइबेशन क्या है और इसकी परिभाषा
कैम्ब्रिज डिक्शनरी में “libation” का अर्थ किसी देवता या मृत व्यक्ति के सम्मान में शराब या अन्य पेय को जमीन पर चढ़ाने या उनके नाम पर पीने की रस्म बताया गया है। यानी जब कोई व्यक्ति शराब पीने से पहले उसकी कुछ बूंदें तीन बार जमीन पर छिड़कता है, तो इसे प्रतीकात्मक रूप से ईश्वर, पूर्वजों या अनुपस्थित प्रियजनों के नाम की भेंट माना जाता है।
भारत में यह प्रथा अक्सर परिवार, घर और आसपास की भलाई की “मौन प्रार्थना” के रूप में देखी जाती है—मानो पहली धार देवताओं या पूर्वजों के लिए, उसके बाद की अपने लिए।
तीन बार जमीन पर छिड़कने का सांकेतिक अर्थ
तीन बार बूंदें छिड़कने के पीछे अलग‑अलग मान्यताएँ बताई जाती हैं, जो संस्कृति के अनुसार बदलती हैं, लेकिन broadly यह संकेत माने जाते हैं:
एक भाग ईश्वर/देवताओं या “ऊपर वाली शक्ति” को समर्पित,
एक भाग पूर्वजों और दिवंगत आत्माओं की स्मृति में,
और एक भाग अपने व परिवार के कल्याण व सुरक्षा की कामना के रूप में।
कुछ परंपराओं में इसे शराब के “तेज” या “नकारात्मकता” का थोड़ा हिस्सा पहले ही धरती को लौटा देने, और इस पवित्र तत्व (earth) को साक्षी मानकर संयम से पीने की प्रतिज्ञा जैसा भी माना जाता है।
भारत के बाहर कहाँ‑कहाँ है यह रिवाज़?
यह रस्म केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि प्राचीन मिस्र, यूनान और रोमन सभ्यताओं में भी किसी देवता या मृतक के सम्मान में पेय भूमि पर उँडेलने की परंपरा रही है। शोधों के अनुसार कम से कम 5,000 साल से अलग-अलग सभ्यताओं में पानी, शराब या अन्य पेय को धरती पर चढ़ाकर देवताओं और पूर्वजों से कृपा और संरक्षण माँगा जाता रहा है।
क्यूबा और ब्राज़ील में इसी तरह की प्रथा को “para los santos” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “संतों के लिए हिस्सा”; वहां भी लोग शराब पीने से पहले थोड़ी मात्रा जमीन पर या वेदी के पास चढ़ाकर मृतकों और संतों को याद करते हैं।
आधुनिक समय में प्रतीक और सावधानी
आज के दौर में भी कई लोग दोस्तों या रिश्तेदारों को खोने के बाद उनके नाम पर “pouring one out” या लाइबेशन करते हैं—थोड़ी शराब जमीन पर बहाकर उन्हें याद करना पश्चिमी पॉप कल्चर तक में आम इशारा बन चुका है। विशेषज्ञ इसे एक तरह का भावनात्मक और आध्यात्मिक प्रतीक मानते हैं, लेकिन साथ ही यह भी याद दिलाते हैं कि शराब हमेशा संयम और जिम्मेदारी के साथ ही पी जानी चाहिए, भले ही उसके साथ कोई भी रिवाज़ क्यों न जुड़ा हो।



